नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला केंद्र सरकार वापस नहीं लेगी। सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने गुरुवार को अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। बहस के दौरान अटॉर्नी जनरल ने इसे हटाए जाने का पूरा ब्यौरा दिया। कहा, “इसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता। मैं यह बताना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता वास्तव में अस्थायी थी। हम राज्यों के एक संघ हैं।“
गौरतलब है कि केद्र सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को दो भाग में बांटने और अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया था। इस फैसले के खिलाफ कई याचिका दायर की गई हैं जिन पर शीर्ष अदालत में सुनवाई हो रही है। इससे पहले याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश अधिवक्ता डॉ. राजीव धवन ने कहा, “पहली बार भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 का उपयोग करते हुए एक राज्य को एक केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। यदि वे (केंद्र सरकार) एक राज्य के लिए ऐसा करते हैं। वे इसे किसी भी राज्य के लिए कर सकते हैं।”
इससे पहले बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अनु्च्छेद 370 के मुद्दे को 7 न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ को तभी सौंपेगा जब उसके पहले के दो फैसलों में विरोधाभास होगा। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता दो निर्णयों- 1959 में प्रेम नाथ कौल बनाम जम्मू-कश्मीर और 1970 में संपत प्रकाश बनाम जम्मू-कश्मीर के बीच सीधा विरोधाभास दिखाते हैं तभी इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा जाएगा। दोनों फैसले 5 जजों की पीठ द्वारा दिए गए थे। न्या