लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 31 जनवरी 2020 तक धारा 144 लागू होने के बाद भी धरना-प्रदर्शन जारी रहने को शासन ने गंभीरता से लिया है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर धरना-प्रदर्शन भी जारी है। शासन के सख्त रुख को देखते हुए लखनऊ में 250 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है जिनमें 6 नामजद हैं। इससे पहले अलीगढ़ में भी कई लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे।

लखनऊ में सीएए और एनआरसी के खिलाफ बिना अनुमति के घंटाघर पर सप्ताह भर से चल रहे धरने में गुरुवार को विभिन्न संगठनों के लोगों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं। एडीसीपी विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि यहां धरने में शामिल 400 से अधिक महिलाओं और पुरुषों को नोटिस दिया जा चुका है जिसमें साफतौर से कहा गया है कि बिना इजाजत के दिया जा रहा धरना-प्रदर्शन अवैध है और इससे घंटाघर आने वाले पर्यटकों को भी असुविधा हो रही है। यह ऐतिहासिक स्थल है और यहां पर धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।

एडीसीपी त्रिपाठी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। राजधानी में धारा 144 लागू है और धरने की भी अनुमति नहीं है विभिन्न संगठनों के लोग महिलाओं के साथ घंटाघर पर इकट्ठा हो रहे हैं। इस मामले में अब तक सौ से अधिक लोगों पर तीन एफआइआर दर्ज हो चुकी हैं। नोटिस और एफआइआर के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

गोमतीनगर के उजरियांव गांव की एक दरगाह पर प्रदर्शन कर रहीं 131 महिलाओं के खिलाफ गोमतीनगर थाने में एफआइआर दर्ज की गई है। इनमें छह महिलाओं को नामजद किया गया है। नामजद महिलाओं में प्रदर्शन की अगुवाई कर रहीं असमां सिद्दीकी, तन्नो, उशारा, रुबीना, बेबी और हयात शामिल हैं। यहां बर चौकी प्रभारी हुसैन अब्बास की तरफ से गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। इन सभी महिलाओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी, 145, 188 और धारा 144  के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

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