नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ जामिया विश्वविद्यालय परिसर से राजघाट तक निकाले जा रहे मार्च में शामिल छात्र-छात्राओँ पर गोली चलाने वाले शख्स की उम्र को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसे देखते हुए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसकी उम्र की जांच के लिए ओसिफिकेशन टेस्ट (बोन टेस्ट) कराने का फैसला किया है।

गौरतलब है कि गुरुवार को निकाले जा रहे इस मार्च के दौरान ग्रेटर नोएडा के जेवर निवासी एक व्यक्ति ने देसी कट्टे से गोली चलाई थी। गोली लगने से एक छात्र शादाब घायल हो गया था। पुलिस ने आरोपित को मौके पर ही दबोच लिया था। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने उसे नाबालिग बताया था। आरोपित 11वीं का छात्र है और डॉक्युमेंट के मुताबिक वह नाबालिग है। इसी को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। सोशल मीडिया में एक मार्कशीट और स्कूल (जो आरोपित के बताए जा रहे हैं) के बारे में जो कागजात वायरल हो रहे हैं, उनके अनुसार उक्त स्कूल में इंटरमीडिएट की पढ़ाई ही नहीं होती है। एक अन्य पोस्ट में दावा किया गया है कि आरोपित के पिता की मौत 20 साल पहले हुई थी।इस सबसे चलते ही क्राइम ब्रांच ने आरोपित के ओसिफिकेशन टेस्ट के लिए आवेदन किया है ताकि यह पता चल सके कि वह वास्तव में नाबालिग है या नहीं। इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने आरोपित को 14 दिनों के लिए प्रोटेक्टिव कस्टडी में भेज दिया।

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