लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दिसंबर 2019 में हुए विरोध प्रदर्शन सुनियोजित थे और एक बड़ी साजिश के तहत तोड़फोड़ और आगजनी की गई। प्रदेश के विभिन्न शहरों में हुए दंगों की अब तक की जांच और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) के कई सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ इसी ओर इशारा कर रही है।

इन दंगों के लिए पीएफआई ने काफी पहले से तैयारी शुरू कर दी थी और खुफिया एजेंसियों को भरमाने के लिए आतंकी फंडिंग (Terrorism funding) के लिए फर्जीवाड़े का ताना-बान बुना गया। आतंकी फंडिंग के लिए हिंदू देवी-देवताओँ और महापुरुषों के नाम से फर्जी सोसायटियां (fake societies) बनाकर बैंक खाते खोले गए। इन्हीं खातों से दो महीने में लाखों रुपये का लेन-देन हुआ। इन खातों का ब्योरा वाट्सएप ग्रुप के जरिये फंड देने वालों को दिया गया। जांच एजेंसियों को अब तक ऐसे चार खातों की जानकारी मिली है।

एटीएस, एसटीएफ के साथ ही केंद्रीय खुफिया एजेंसियां भी इन दंगों की छानबीन में जुटी हैं। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने शुक्रवार को पीएफआइ से जुड़े पांच सदस्यों मो. उमर, सैयद अब्दुल हई, फैजान, मो. वासिफ और सरवर आलम को कानपुर में गिरफ्तार किया था। इनके मोबाइल फोन की जांच में हिंदू नामों से चार सोसायटी के बैंक खातों की जानकारी मिंली। दयानंज, बालाजी आदि नामों से सोसायटियों का गठन किया गया, फिर इन्हीं नामों से बैंक खाते खोले गए।पुलिस सूत्रों के अनुसार केरल, असम, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और मुंबई से भी खातों में रकम जमा की गई। इस रकम का इस्तेमाल अब्दुल हई और उसके साथियों ने विरोध प्रदर्शनों के लिए किया था। इन खातों में अब तक 80 लाख रुपये से ज्यादा का लेनदेन हो चुका है।

गौरतलब है इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी एक जांच रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश में पिछले महीने हुए दंगों से ठीक पहले और दंगों के दौरान करोड़ों रुपयों के लेनदेन का खुलासा किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय को यह रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद जांच एजेंसिया देशभर में पीएफआई के संदिग्ध बैंक खाते खंगाल रही हैं।

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