नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजों ने दो बातों पर एक बार फिर मुहर लगा दी। पहला- राष्ट्रीय (लोकसभा) और प्रादेशिक (विधानसभा) चुनावों में जनता की प्रथमिकताएं जुदा होती हैं। जनता जुबानी जमा-खर्च और जुमलेबाजी के बजाय सीधे उसे लाभ पहुंचाने वाले कार्यों और मुद्दों को प्रथामिकता देती है। दूसरा- खासकर, बदजुबानी करने वाले लोग मतदाताओं को बिल्कुल भी पसंद नहीं। इन चुनावों को ही देखें तो साफ जो जाएगा कि तलवार की तरह लपलपाती जुबान को ईवीएम से निकले नतीजों ने भोथरा कर दिया। खासकर, आम आदमी पार्टी (आप) के सर्वमान्य नेता अरवंद केजरीवाल को आतंकवादी कहना मतदाताओं को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया और उन्होंने ऐसी हिमाकत करने वालों का बोरिया-बिस्तर बांधकर उन्हें घर बैठा दिया। कपिल मिश्रा और तेजिंदर सिंह बग्गा को वोटरों ने करारी हार के जख्म दिए तो परवेश वर्मा के लोकसभा क्षेत्र पश्चिमी दिल्ली में आने वाली सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा हार गई।
राजनीतिक विश्लेषक दिल्ली
विधानसभा चुनाव के परिणाम के अलग-अलग मायने निकालेंगे लेकिन पहली नजर में
देखें तो स्पष्ट तौर से संकेत मिलते हैं कि जनता नकारात्मक राजनीति को पसंद नहीं
करती है।
आतंकवादी-पाकिस्तान
करने वाले कपिल मिश्रा अब खामोश
2015 के विधानसभा चुनाव में
आप के टिकट पर विधायक और फिर मंत्री बनने वाले कपिल मिश्रा इस बार भाजपा के टिकट
पर चुनाव लड़े। मॉडल टाउन विधानसभा सीट पर किस्मत आजमा रहे कपिल मिश्रा ने अपने
चुनाव प्रचार की शुरुआत ही आंतकवादी और पाकिस्तान से की। जुबान पर तुर्शी इतनी कि
केजरीवाल को आतंकवादी तक कह दिया। इतने पर भी मन नहीं भरा तो नागरिकता संशोधन
कानून (सीएए) के
विरोध में शाहीन बाग में जमा लोगों को पाकिस्तानी बताया था। 2015 में आप की सरकार बनने के बाद कपिल मिश्रा को जल मंत्रालय सौंपा गया था, लेकिन बीच में ही
बगावत करके वह पार्टी से अलग हो गए। गौर करने वाली बात यह है कि 2020 में आप को मिली प्रचंड
जीत में जल मंत्रालय का खास योगदान है। आप सरकार ने दिल्ली के लोगों के लिए पानी
मुफ्त कर दिया जिसका लोगों को सीधा-सीधा फायदा हुआ है।
चुनाव नतीजे से इन दोनों बातों की तुलना करें तो पता चलता है कि एक तरफ आप के नेताओं ने मुफ्त पानी की बात की तो लोगों ने उनपर भरोसा जताया, वहीं इस मंत्रालय का जिम्मा संभाल चुके कपिल मिश्रा ने अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों को बताने के बजाय आतंकवादी और पाकिस्तान जैसे शब्दों का प्रयोग किया तो जनता ने उन्हें नकार दिया है। मॉडल टाउन सीट पर आप के अखिलेश पति त्रिपाठी ने कपिल मिश्रा को करीब 11 हजार वोटों से करारी मात दी।
तेजिंदर सिंह बग्गा को भी जनता ने नकारा
जमीन पर काम करने के बजाय ट्विटर पर ज्यादा सक्रिय रहने वाले तेजिंदर सिंह बग्गा फायर ब्रांड नेता की छवि बनाने के लिए रात-दिन एक किए रहे। भाजपा ने उन्हें हरि नगर विधानसभा सीट पर खड़ा किया। पिछले पांच साल से सोशल मीडिया पर आक्रामक ट्वीट करते रहे बग्गा चुनाव प्रचार के दौरान मर्यादा की सीमाएं लांघते रहे और कपिल मिश्रा की तरह ही अरवंद केजरीवाल को आतंकवादी कहते रहे। मतदाताओं ने उनको भी सबक सिखा दिया।। आप प्रत्याशी राज कुमारी ढिल्लो ने बग्गा को 17 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया।।
परवेश वर्मा को भी मिली बदजुबानी की सजा
पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद परवेश वर्मा पूरे चुनाव प्रचार के दौरान बिरयानी, शाहीन बाग, बांग्लादेश, पाकिस्तान, आतंकवादी जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते रहे। बदजुबानी इस हद तक कि चुनाव आयोग को उन पर दो बार कार्रवाई करनी पड़ी तो आम मतदाता भी उनसे खफा हो गए। नतीजे परवेश को ना भूलने वाले जख्म दे गए। उनके लोकसभा क्षेत्र पश्चिमी दिल्ली की तिलक नगर, मटियाला, मादीपुर, उत्तम नगर,जनकपुरी, विकासपुरी, हरि नगर, द्वारका सहित सभी सीटों पर भाजपा हार गई।