नई दिल्‍ली। राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को लेकर उठते रहे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने राजनीति के अपराधीकरण पर चिंता जताते हुए तमाम राजनीतिक दलों को निर्देश  दिए कि आपराधिक पृष्ठभूमि (Criminal background)  वाले उम्‍मीदवारों का चयन करने के 48 घंटों के भीतर उनकी पूरी प्रोफाइल पार्टी की वेबसाइट पर अपलोड की जाए। राजनीतिक दलों को यह भी बताना होगा कि उन्होंने दागी व्यक्ति को टिकट क्यों दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “पिछले चार लोकसभा चुनावों में इसमें काफी बढ़ोत्तरी हुई है। इस क्रम में तमाम राजनीतिक पार्टियां आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवार का नामांकन स्‍पष्‍ट होने के 48 घंटे के भीतर उम्मीदवार का आपराधिक रिकॉर्ड अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करें।”

सुप्रीम कोर्ट ने एक अवमानना याचिका पर यह आदेश पारित किया। उस याचिका में राजनीति के अपराधीकरण का मुद्दा उठाते हुए दावा किया गया था कि सितंबर 2018 में आए शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है जिसमें सियासी दलों से अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करने को कहा गया था।

न्यायमूर्ति एफ. नरीमन की अध्‍यक्षता वाली संविधान पीठ ने गुरुवार को चुनाव आयोग को कहा है कि इन निर्देशों का पालन नहीं किए जाने पर मामले को उसके (सुप्रीम कोर्ट के) संज्ञान में लाया जाए। ऐसे में यदि राजनीतिक दलों ने इस निर्देश का पालन नहीं किया तो चुनाव आयोग ऐसे मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएगा।

राजनीतिक दलों के लिए गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के लिए गाइडलाइन भी जारी की है। उसने कहा है किपिछले चार आम चुनावों में राजनीति में अपराधीकरण तेजी से बढ़ा है। यदि राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को टिकट दिया जाता है तो उसका आपराधिक विवरण पार्टी की वेबसाइट पर और सोशल मीडिया पर देना होगा। साथ ही, राजनीतिक दलों को  यह भी बताना होगा कि किसी बेदाग को टिकट क्यों नहीं दिया गया।

संविधान पीठ ने राजनीतिक दलों को यह भी निर्देश दिया कि वे आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्‍मीदवारों के विवरण को फेसबुक और ट्विटर जैसे तमाम सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म पर भी शेयर करे। इसके अलावा एक स्‍थानीय व एक राष्‍ट्रीय अखबार में भी इस विवरण को प्रकाशित किया जाए। ऐसे उम्‍मीदवारों के चयन के बाद 72 घंटों के भीतर उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के बारे में चुनाव आयोग को सूचित करना होगा।

पहले भी जारी हुआ था एक निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता भाजपा नेता (वकील) अश्विनी उपाध्याय और चुनाव आयोग से साथ मिलकर इस मामले पर विचार करने को कहा ताकि राजनीति में अपराधीकरण पर पूर्ण रूप से रोक लगाने में मदद मिले। सितंबर 2018 में पांच सदस्यीय संविधान पीठ की ओर से इस मामले में फैसला सुनाया गया था कि सभी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से पहले चुनाव आयोग के समक्ष अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि का ऐलान करना होगा और प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी व्यापक तौर पर प्रचार करना होगा। हालांकि, इस आदेश से अधिक मदद नहीं मिली।

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