प्रयागराज। जमीन पर जबरन कब्जा और फर्जीवाड़े समेत कई मामलों में अदालतों के चक्कर लगा रहे सपा के कद्दावर नेता व सांसद मोहम्मद आजम खान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रशासन उनके विशवविद्यालय की सैकड़ों बीघा जमीन पर कब्जा लेकर उनके मूल स्वामियों को लौटा चुका है तो बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम का विधायकी जा चुकी है। अब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें फिर तगड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के मामले में आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम के खिलाफ रामपुर की अदालत में चल रहे मुकदमे और चार्जशीट को रद्द करने से इन्कार कर दिया है।

न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने आजम खान व दो अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के हवाले से कहा है कि आरोप-पत्र में प्रथमदृष्टया आपराधिक मुकदमा चलाने का पर्याप्त आधार मौजूद है। ऐसे में मुकदमे को रद्द करने का कोई औचित्य नहीं है। अदालत ने यह भी कहा है कि किसी भी व्यक्ति को अपराध की प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार है। चार्जशीट से प्रथमदृष्टया आपराधिक मामला बनता हो तो आरोप के साक्ष्य पर मुकदमे के विचारण के समय विचार किया जाएगा। प्रथमदृष्टया अपराध कारित हो रहा हो तो कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

गौरतलब है कि अब्दुल्ला आजम ने हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, बीटेक और एमटेक की शिक्षा हासिल की है जिनके दस्तावेजों में उनकी जन्मतिथि 1 जनवरी  1993 दर्ज है। 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका परिषद से अब्दुल्ला आजम का जन्म प्रमाणपत्र बनवाया गया और बदलाव करते हुए जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 दर्ज की गई। इसे निरस्त कराये बगैर नगर निगम लखनऊ से 2015 में दोबारा 30 सितंबर 1990 की जन्मतिथि वाला प्रमाणपत्र बनवाया गया। इसी मामले में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए आजम खान, तंजीन फातिमा और अब्दुल्ला आजम के खिलाफ रामपुर के गंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें ने अब्दुल्ला आजम  पर स्वार से विधानसभा चुनव लड़ने के लिए फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाने का आरोप लगाया गया है। पुलिस की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम रामपुर ने तीनों आरोपितों को सम्मन जारी कर हाजिर होने का आदेश दिया है।

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