नई दिल्ली। 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले (26/11) को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इसे “हिंदू आतंकवाद” का रूप देने की पूरी साजिश रची थी। मुंबई हमला मामले के सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने भी मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया के दावों की पुष्टि की है। मारिया के इस दावे के बाद भाजपा हमलावर है और उसके नेता लगातार कांग्रेस के बड़े नेताओं (दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिंदे, पी. चिदंबरम) को इस मामले में घेर रहे हैं। हालांकि शिंदे और चिदंबरम ने चुप्पी साध ली है पर दिग्विजय ने कहा है कि वह भाजपा नेता जीवीएल नरसिम्हा राव और अमित मालवीय पर मानहानि का मुकदमा करेंगे।

दरअसल, राकेश मरिया की किताब Let Me Say It Now में “हिंदू आतंकवाद” की साजिश वाले खुलासों के बाद भाजपा नेताओं ने दिग्विजय सिंह को आईएसआई का जासूस कहा था। इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर वह आईएसआई के गुप्तचर हैं तो उन्हें अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? उन्होंने आगे कहा, “अगर ऐसा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बिल्कुल अयोग्य हैं क्योंकि वो उन्हें गिरफ्तार नहीं करवा सके हैं।”

भाजपा नेताओं ने दिग्वजिय सिंह पर इसलिए निशाना साधा था क्योंकि उन्होंने मुंबई हमले के लिए आरएसएस पर अंगुली उठाई थी और बजरंग दल पर आईएसआई से पैसे लेने का आरोप लगाया था। वैसे भी, दिग्विजय के अलावा मनमोहन सिंह सरकार में गृह मंत्री रहे कांग्रेस नेता सुशील शिंदे और पी. चिदंबरम पर “भगवा आतंकवाद” या “हिंदू आतंकवाद” का टर्म गढ़ने और आतंकवाद में हिंदुओं की भी संलिप्तता गलत तरीके से साबित करने की कोशिश करने के आरोप लग चुके हैं।

इसलिए भड़के दिग्विजय?


अमित मालवीय ने कहा था, “26/11 के तुरंत बाद कांग्रेस नेता दिग्विजिय सिंह के साथ कुछ बॉलिवुड हस्तियों ने एक किताब का लोकार्पण किया था जिसमें आरएसएस पर आरोप जड़े गए थे।” उन्होंने कहा, “उस किताब में कहीं पर भी पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथ होने की आशंका तक जाहिर नहीं की गई थी। उन्होंने वही कहा जो पाकिस्तान उनसे कहलवाना चाहता था।” यह बात सच है कि दिग्विजिय सिंह ने “26/11 आरएसएस की साजिश?” नाम से प्रकाशित पुस्तक को लोकार्पण के वक्त कहा था, “इस किताब में कहीं भी आप 26/11 में पाकिस्तानी आतंकवादियों का हाथ नहीं देख सकते।”

बचाव में उतरे अधीर चौधरी

दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव और पार्टी की मीडिया सेल के प्रमुख अमित मालवीय को मानहानि का नोटिस भेजेंगे। इधर, लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने हिंदू आतंकवाद को लेकर उठ रहे सवालों पर पार्टी का बचाव किया। उन्होंने कहा कि जब “हिंदू आतंकवाद” टर्म सामने आया तब पूरी पृष्ठभूमि कुछ वैसी ही थी। उन्होंने मक्का मस्जिद में बम धमाके और प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी एवं अन्य हिंदुओं की गिरफ्तारी का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “आतंकवादी हमेशा धोखा देते हैं और हमले में अपनी असली पहचान छिपा लेते हैं।”

राकेश मारिया को उज्ज्वल निकम का समर्थन

उज्ज्वल निकम।

26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के मुकदमे में सरकारी वकील रहे प्रसिद्ध अधिवक्ता उज्ज्वल निकम ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया के दावों का समर्थन किया है। उन्होंने भी कहा कि हमलावरों के पास से मिली आईडीज में हिंदू नाम दर्ज थे। उन्होंने कहा, “यह सच है कि आईडीज में हिंदू नाम लिखे थे। मुंबई कोर्ट में दिए कसाब के बयान से साबित हो गया था कि 10 दोषियों के पास 10 फर्जी आईडीज थे। हमने कोर्ट के सामने इसे साबित किया था।” उन्होंने आगे कहा, “कसाब ने कहा था कि उसे मिलिट्री ट्रेनिंग देने वाले काफा ने हमलावरों से कहा था कि उन्हें 10 फर्जी आईडीज दिए जाएंगे। इसका इस्तेमाल पुलिस को गुमराह करने के लिए किया जाना था। हमने यह साबित कर दिया था।”

12 वर्षों तक क्यों चुप रहे मारिया: कांग्रेस

उज्ज्वल निकम के राकिश मारिया को समर्थन के बीच कांग्रेस ने सवाल किया कि “हिंदू आतंकवाद” की साजिश वाली बात को मारिया ने 12 वर्षों तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया? पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने राकेश मारिया के दावे के बारे में पूछे जाने पर कहा, “राकेश मारिया साहब जब 26/11 का घिनौना आंतकवादी हमला हुआ था, उस दौरान मुंबई पुलिस में आला पद पर थे। ऐसे में उन्होंने यह बात पिछले 12 वर्ष में सार्वजनिक क्यों नहीं की? यह जांच प्रक्रिया और अदालती प्रक्रिया का भाग क्यों नहीं बना?” उन्होंने कहा, “इन सवालों के जवाब मारिया को देने चाहिए।”

क्या थी लश्कर की साजिश?

गौरतलब है कि पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी पुस्तक Let Me Say It Now में कहा है कि मुंबई हमले में जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी आमिर अजमल कसाब की कलाई पर हिंदुओं का पवित्र धागा कलावा यूं ही नहीं बंधा था। उन्होंने पुस्तक में दावा किया कि लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई मुंबई हमले को “हिंदू आतंकवादियों” की ओर से किए गए हमले का रूप देना चाहते थे। इसके लिए हमलावरों को हिंदू नामों से फर्जी आईडी कार्ड दिए गए थे और अजमल कसाब की पहचान बेंगलुरु के समीर दिनेश चौधरी के रूप में दर्ज करवाई गई थी।

मारिया ने लिखा है कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार होता तो अजमल कसाब समीर दिनेश चौधरी के रूप में मर जाता और मीडिया हमले के लिए “हिंदू आतंकवादियों” को दोषी ठहराती। उन्होंने लिखा, “अखबारों में बड़ी-बड़ी सुर्खियां बनतीं जिनमें दावा किया जाता कि किस प्रकार हिंदू आतंकवादियों ने मुंबई पर हमला किया। शीर्ष टीवी पत्रकार उसके परिवार और पड़ोसियों से बातचीत करने के लिए बेंगलुरु पहुंच जाते, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और वह पाकिस्तान में फरीदकोट का अजमल आमिर कसाब निकला।”

मारिया ने लिखा है, “मुंबई पुलिस के कॉन्स्टेबल शहीद तुकाराम ओम्बले ने कसाब को जिंदा पकड़ लिया और लश्कर की ‘हिंदू आतंकवाद’ वाली साजिश पर पानी फिर गया।”

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