नई दिल्ली। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया की किताब “लेट मी से ईट नाऊ” (Let Me Say It Now) की आंच अभी कई लोगों को झुलसाएगी। “हिंदू आतंकवाद” पर बड़ी साजिश पर रोशनी डालने के साथ ही उन्होंने उन लोगों को भी बेनकाब किया है जो पुलिस के काम में दखलंदाजी करते थे। राकेश मारिया ने इसे लेकर महाराष्ट्र की तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
राकेश मारिया ने विलासराव देशमुख की सरकार में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री एनसीपी नेता छगन भुजबल पर पुलिस जांच में दखलअंदाजी करने का आरोप लगाया है। किताब के मुताबिक, दिसंबर 1999 में एक मामले में भुजबल के मन मुताबिक पुलिसिया कारवाई ना होने की वजह से तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने राकेश मारिया का तबादला कर दिया था।
1999 में राकेश मारिया नॉर्थ वेस्ट रीजन के एडिशनल कमिश्नर थे। उस दौरान बांद्रा के एक रेस्तरां में कुछ रसूखदार लोगों ने बिल भरने के लिए कहने पर होटल के स्टाफ के साथ मारपीट की। मामले की शिकायत दर्ज होने पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल ने मारिया को फोन कर इशारा दिया था कि आरोपितों के खिलाफ दायर शिकायत झूठी है, इसलिए उसको ज्यादा अहमियत ना दी जाए। इसके बावजूद मारिया के निर्देश पर पुलिस ने शिकायत दर्ज कर कथित रसूखदारों को नवंबर 1999 में गिरफ्तार कर लिया। इससे भुजबल नाराज हो गए और दिसंबर 1999 में उनका रेलवे कमिश्नर के पद पर तबादला कर दिया गया था। यह एक ऐसी पोस्टिंग थी जिसे पदावनति (Demotion) डिमोशन माना जाता था। नियम के मुताबिक मारिया को नॉर्थ वेस्ट रीजन में कम से कम दो साल की सेवा देनी थी लेकिन मात्र 13 महीनों में ही उनका तबादला कर दिया गया।