नयी दिल्ली। शाहीन बाग (Shaheen bagh) में धारा 144 लागू कर दी गयी है। इसके बाद शाहीन बाग में पैरामिलिट्री फोर्सेज की 12 कंपनियां और दिल्ली पुलिस के एक हजार जवान तैनात कर दिये गये हैं। ऐसे में लोगों में चर्चा शुरू हो गयी है कि क्या शाहीन बाग में CAA और NRC के विरोध में चल रहा प्रदर्शन खत्म होने वाला है? हालांकि सूत्रों का कहना है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण पुलिस कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर सकती। इसलिए प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की जा रही है।
बता दें कि आज रविवार को सुबह दिल्ली पुलिस ने शाहीन बाग में धारा 144 लागू कर दी थी। पुलिस का कहना था कि हिंदू सेना और अन्य संगठन ने एक मार्च को शाहीन बाग में प्रदर्शन की घोषणा की थी। हालांकि हिंदू सेना ने अपना प्रदर्शन रद्द कर दिया लेकिन पुलिस ने सतर्कता के तौर पर सुरक्षा के पूरे इंतजाम किये हैं। इसीलिए शाहीन बाग में पैरामिलिट्री की 12 कंपनियां और दिल्ली पुलिस के एक हजार जवान तैनात किया गये हैं।
गौरतलब है कि शाहीन बाग में जारी सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शन देश भर में चर्चा का विषय रहा है। शाहीन बाग के आंदोलन के बाद देश के कई शहरों में भी ऐसे ही प्रदर्शन हुए. शाहीन बाग का मसला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
इससे पहले 26 फरवरी को शाहीन बाग में सड़क खुलवाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हिंसा पर भी बात की थी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि शाहीन बाग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए माहौल ठीक नहीं है, फिलहाल सुनवाई टालना सही रहेगा।
इससे पहले 24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े व वकील साधना रामचंद्रन ने सील बंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी। वार्ताकारों ने यह रिपोर्ट दिल्ली के शाहीनबाग के सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत के बाद सौंपी थी। कोर्ट वकील अमित साहनी व भाजपा नेता नंद किशोर गर्ग की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। साहनी व गर्ग ने अपनी याचिका में शाहीनबाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली व नोएडा को जोड़ने वाली एक प्रमुख मार्ग को रोक दिया है।
शाहीन बाग में नाकाबंदी हटाने के लिए चल रहे प्रयासों में शामिल वजाहत हबीबुल्ला ने 23 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी स्थल पर सड़क को खोलने के लिए समाधान सुझाए थे। हलफनामे में कहा गया था कि आस-पास की कुछ सड़कों पर लगे बैरिकेड्स हटाने से स्थिति में तुरंत राहत मिल सकती है। (इनपुट ज़ीन्यूज से)