बरेली। लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए एसआर इण्टरनेशनल सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल में पहली अप्रैल से ऑनलाइन क्लासेज शुरू की जा रही हैं। ये क्लासेज कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के विद्यार्थियों के लिए होंगी। 10वीं एवं 12वीं की ऑनलाइन कक्षाएं 24 मार्च से ही शुरू हो चुकी हैं। यह जानकारी स्कूल के निदेशक डॉ. आर.के.शर्मा ने दी। डॉ. शर्मा ने कहा कि किसी भी बच्चे पर फीस के लिए कोई दबाव नहीं बनाया गया है और न ही किसी बच्चे को वंचित किया जाएगा।
नये सत्र की प्रक्रिया के तहत भेजे थे रुटीन मैसेज : डॉ. आर.के. शर्मा
डॉ. आर.के. शर्मा ने बताया कि एसआर इण्टरनेशनल स्कूल प्रबंधन ने किसी भी अभिभावक पर 31 मार्च तक फीस जमा करने का दबाव नहीं बनाया है। हां, ऑफिस की ओर रुटीन मैसेज जरूर भेजे गये थे। साथ ही यह भी कहा गया था कि जिन अभिभावकों वर्तमान लॉकडाउन परिस्थितियों के कारण फीस जमा करने में कोई समस्या हो वे प्रबंधन के फोन नम्बर (जो मैसेज में लिखकर भेजा गया था) पर एक एप्लीकेशन व्हाट्सएप मैसेज कर दें। इसमें अपने बच्चे का नाम, कक्षा और एसआर नम्बर लिखकर भेज दें।
उन्होंने बताया कि हमने 20 मार्च को अपने विद्यालय के बच्चों को रिजल्ट वितरित कर दिये। इसके बाद अगली कक्षा में प्रवेश के लिए प्रक्रिया शुरू की गयी। इसी के तहत रूटीन मैसेज सभी अभिभावकों को किया गया। जिन अभिभावकों को समस्या थी उन्होंने एप्लीकेशन दी। जितने भी ऐसे आवेदन आये, वे सभी तत्काल ही स्वीकृत कर दिये गये। फीस को लेकर दबाव बनाने की बात पूरी तरह गलत है।
एक अभिभावक ने की थी शिकायत
बता दें कि कल शुक्रवार को स्कूल के एक अभिभावक ने प्रशासन से सम्पर्क किया था। एडीएम ने संयुक्त शिक्षा निदेशक को जानकारी दी। इस पर संयुक्त शिक्षा निदेशक ने 31 मार्च तक फीस वसूली के दबाव बनाने को अनैतिक करार देते हुए सभी स्कूलों से सहयोग की अपेक्षा जतायी थी। ‘बरेली लाइव’ ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
इस पर स्कूल के डारेक्टर डॉ. आर.के.शर्मा ने ‘बरेली लाइव’ को बताया कि हम सैदव बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए चिंतित रहते हैं। जिन अभिभावक ने इस बात को मुद्दा बनाया उनका कोई मैसेज या फोन या एप्लीकेशन स्कूल में नहीं पहुंची। उन्होंने ऐसा क्यों किया, उनकी मंशा वही जानते होंगे लेकिन हमें उनकी इस हरकत से बहुत मानसिक वेदना हुई है।
उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन बच्चों के भविष्य के लिए समर्पित है। इसीलिए लॉकडाउन में ‘वर्क फ्रॉम होम’ के तहत टीचर्स घरों से ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं और बच्चे अपने घरों में पढ़ रहे हैं। इसके लिए टीचर्स के घरों पर बोर्ड आदि की पूरी व्यवस्था की गयी है, जिससे बच्चों को क्लासरूम फील ही आये।