नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण के साथ ही इसकी चेन तोड़ने के लिए लागू किया गया लॉकडाउन इन दिनों सबकी जुबां पर है। तमाम लोग जानना चाहते हैं कि 21 दिन का लॉकडाउन 14 अप्रैल को आधी रात के बाद खत्म होगा कि नहीं। उधर सरकार स्थिति की लगातार समीक्षा कर रही है। हालांकि कोरोना वायरस के खिलाफ इस जंग को दो घटनाओं ने कुछ कमजोर किया है। पहली घटना है प्रवासी मजदूरों को बड़े पैमाने पर पलायन और दूसरा निजामुद्दीन मरकज के अमीर मौलाना साद का गैरजिम्मेदाराना रवैया और संक्रमित जमातियों का देशभर में फैल जाना। लॉकडाउन की समीक्षा में लगे अधिकारियों के अनुसार अभी पूरा ध्यान कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रण में रखने, स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त रखने और लॉकडाउन के दौरान जरूरी चीजों की आपूर्ति को बहाल रखने पर है। लॉकडाउन को बढ़ाना है या नहीं, इस पर फैसला 10 अप्रैल के बाद ही होगा।

सूत्रों के अनुसार 14 अप्रैल के बाद आगे की रणनीति क्या हो इसके लिए 10 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच समीक्षाओं का दौर होगा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सभी मुख्यमंत्रियों से एक बार और वीडियो कांफ्रसिंग के माध्यम से बैठक कर सकते हैं। इसके बाद ही 14 अप्रैल के बाद की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी रविवार को साफ तौर पर कह दिया है कि 15 अप्रैल से स्कूल-कॉलेज खोलने पर फैसला 14 अप्रैल को होगा।

निजामुद्दीन मरकज ने सरकार की चिंता सबसे अधिक बढ़ाई है। जमातियों को जिस तरह खोजना पड़ा रहा है और उनमें से तमाम संक्रमित निकल रहे हैं, उसके चलते चिकित्सा व्यवस्था से जुड़े लोगों का आकलन है कि पॉजिटिव केस आने वाले कई दिनों तक मिलते रहेंगे। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने भी कहा कि यह मान लेना कि 14 अप्रैल के तुरंत बाद नए कोरोना वायरस मामले आने बंद हो जाएंगे, गलत होगा। सोशल डिस्टेसिंग को जारी रखना होगा।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लॉतडाउन हटने के बाद अगले तीन महीने तक पूरे सिस्टम को हाई अलर्ट पर रखा जाएगा। जाहिर है कि लॉकडाउन हटने पर भी एहतियाती कदम जारी रहेंगे। तमाम चीजें तुरंत सामान्य नहीं की जाएंगी और इनमें चरणबद्ध तरीके से ढील दी जाएगी।

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