BareillyLive. बरेली। ’कोरोना वायरस’ महामारी के इस संकट से कोरोना योद्धा के रूप में समाज के अन्य योद्धाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मीडिया कर्मी भी लड़ रहे हैं। ऐसे में पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के हितों को समर्पित संस्थाएं अब इन पत्रकारों के लिए नौकरी एवं बीमा सुरक्षा कवच की मांग सरकार से कर रही हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस घड़ी में पत्रकारों की महत्ता को राष्ट्र के नाम अपने संदेश में विशेष रूप से उल्लेख कर चुके हैं।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि कोरोना महामारी के इस दौर में सरकार पत्रकारों की नौकरी सुनिश्चित करने के साथ उनके स्वास्थ्य बीमा के लिए योजनाओं की घोषणा करे। पत्रकारों की प्रमुख राष्ट्रीय संस्था नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया एनयूजे (आई) के नवनियुक्त अध्यक्ष मनोज मिश्र और महासचिव सुरेश शर्मा ने अपने एक बयान में कहा कि इस समय पत्रकारों की भूमिका महज एक नौकरी की नहीं बल्कि समाज सेवा के सबसे बड़े साधन के रूप में फिर सामने आयी है।
सोनिया गांधी का विज्ञापन सम्बंधी प्रस्ताव समझ से परे
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट इंडिया एवम् यू.पी. जर्नलिस्ट एसोसिएशन (उपजा) के स्टेट प्रेसीडेंट जी.सी श्रीवास्तव, प्रदेश महामंत्री रमेश चंद जैन और प्रदेश उपाध्यक्ष निर्भय सक्सेना, राधे श्याम लाल कर्ण ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के मीडिया सम्बंधी प्रस्ताव को समझ से परे बताया है।
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में मीडिया मे प्रकाशित/ प्रसारित कराए जाने वाले सरकारी विज्ञापन में कटौती की मांग की थी। एनयूजे तथा इसकी सम्बद्ध सभी राज्य इकाइयां मानती हैं कि यह मांग किसी भी रूप में उचित नहीं है। इससे मीडिया क्षेत्र में मंदी और बेरोजगारी बढ़ेगी और पत्रकारिता का दायित्व समाज सेवा से विमुख हो जाएगा।
नजरअंदाज नहीं की जा सकती मीडियाकर्मियों की भूमिका
इन लोगों ने कहा है कि लॉकडाउन में व्यवसायिक क्षेत्र से राजस्व प्राप्ति घटने से पत्रकारों की छंटनी से पत्रकार जगत जूझ ही रहा है। उपरोक्त पत्रकार नेताओं ने यह भी मांग की कि जिस तरह डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ, पुलिस और अन्य एजेन्सिया कोरोना को समाप्त करने की दिशा में कार्यरत हैं, उसमें पत्रकारों, मीडियाकर्मियों की भूमिका भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती।
घर परिवार छोड़कर और 24 घंटे कॉरोना की रिपोर्टिंग करते हुए वे एक तरह से सरकार और जनता का समर्थन कर रहे हैं। लिहाजा केंद्र सरकार को पत्रकारों के लिए एक बीमा पॉलिसी घोषित करना चाहिए जिससे उनका परिवार सुरक्षित और संरक्षित रहे।
उपजा के कोषाध्यक्ष अरुण जयसवाल का कहना है कि अभी एक मंदी जैसा दौर शुरू हो गया है। ऐसे हालात में कुछ मीडिया संस्थान अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर रहे हैं। इस कटौती को तुरन्त रोककर नौकरियों की छटनी नहीं की जानी चाहिए। सरकार ये आदेश जारी करते हुए पत्रकारों एवं अन्य मीडिया कर्मियों के लिए तत्काल बीमा लाभ की घोषणा करे।