नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा राजस्थान के कोटा में फंसे हजारों छात्र-छात्राओं को निकाले जाने के बाद प्रवासी श्रमिकों को भी वापस लाने के लिए उठ रही आवाजों के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो टूक कहा है कि लॉकडाउन की वजह से विभिन्न स्थानों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों को 20 अप्रैल के बाद भी घर जाने की इजाजत नहीं मिलगी। राज्य सरकारें प्रदेश की सीमा के भीतर ही उन्हें काम दिलाने की व्यवस्था करेंगी।
सोमवार, 20 अप्रैल से चुनिंदा औद्योगिक, निर्माण एवं कृषि संबंधी गतिविधियां शुरू करने की योजना के तहत केंद्र सरकार ने रास्तों में जगह-जगह फंसे हजारों प्रवासी मजदूरों को उनकी काबिलियत के अनुसार उपयुक्त कार्यो में लगाने के बारे में मानक अनुपालन प्रक्रिया (एसओपी) का खाका राज्य सरकारों के लिए जारी किया है।
केंद्रीय गृह सचिव गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से जारी आदेश में राज्य सरकारों को निर्धारित एसओपी अपनाने के दिशानिर्देश दिए गए हैं। इसके अनुसार, सबसे पहले स्थानीय जिला प्रशासन के अधिकारियों को अपने यहां विभिन्न इलाकों में शिविरों में रखे गए प्रवासी मजदूरों की दक्षता का परीक्षण कर उनका पंजीयन करना होगा। उसके बाद इन मजदूरों को राज्य की सीमा के भीतर ही उनकी योग्यता और दक्षता के मुताबिक औद्योगिक, मैन्युफैक्चरिंग, कृषि कार्य, निर्माण कार्य अथवा मनरेगा जैसे विभिन्न कार्यो में लगाने के इंतजाम करने होंगे।
लॉकडाउन से पहले जो मजदूर राज्य की सीमा में ही किसी प्रतिष्ठान में नौकरी करते थे अथवा खेती या अन्य कारोबारी गतिविधियों से जुड़े थे, उन्हें स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा उनके कार्यस्थलों पर भेजने की भोजन-पानी के साथ पूरी व्यवस्था की जाएगी। लेकिन, किसी भी दशा में उन्हें राज्य से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
एसओपी में प्रवासी मजदूरों को कार्यस्थल तक पहुंचाने के लिए बसों को पहले सैनिटाइज करने तथा उसके बाद उसके सुरक्षित शारीरिक दूरी के नियमों के अनुसार दूर-दूर बैठाने को कहा गया है। मजदूरों से कार्य लेते समय उनके हाथों को कम से कम 29 सेकंड तक साबुन और पानी से धोने अथवा सैनिटाइजर के माध्यम से वायरस मुक्त करने के बाद ही सुरक्षित शारीरिक दूरी के नियमों के तहत काम पर लगाने की चेतावनी भी एसओपी में दी गई है।