सेनापति (क्रिस) गोपालकृष्णन ने कहा कि कई छोटे भारतीय स्टार्टअप ने यह अनुभव किया है कि वे घर से काम करने में उतने ही प्रभावी हैं और अब वे सोच रहे हैं कि क्या उन्हें स्थायी कार्यालय (Permanent office) की जरूरत है?
नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए देश में 15 अप्रैल 2020 से लागू किए गए लॉकडाउन के शुरुआती दौर में भले ही कुछ स्टार्टअप ने घबराहट में थोड़ी-बहुत छंटनी कर दी हो पर आईटी सेक्टर में अब नौकरियां जाने के कोई आसार नहीं हैं। हालांकि लॉकडाउन के खत्म होने के बाद स्थिति सामान्य होने पर भी 10 लाख से अधिक आईटी कर्मचारियों के घर से ही काम करने की संभवना है।
आईटी उद्योग की जानीमानी शख्सियत सेनापति (क्रिस) गोपालकृष्णन ने सोमवार को यह बात कही। उन्होंने कहा, “आईटी क्षेत्र में नौकरियां जाने की आशंका तो नहीं है लेकिन नई भर्तियां रुक सकती हैं।” उन्होंने आईटी क्षेत्र में वेतन कटौती का संकेत भी दिया। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि आईटी सेवा उद्योग ने लोगों को घर से काम करने के लिए पूरी तरह तैयार कर लिया है।
आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक गोपालकृष्णन ने कहा, “यह कोई छोटा-मोटा काम नहीं था। घर से काम करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों को टेक्नोलॉजी बुनियाद की जरूरत थी, इसके लिए ग्राहकों की इजाजत लेकर व्यापार प्रक्रियाओं को बदलना जरूरी था।” गोपालकृष्णन ने कहा, “अब मुझे बताया गया है कि कई बड़े संगठनों में 90 से 95 प्रतिशत लोग घर से काम कर रहे हैं और यह बदलाव बेहद सहज रूप से और बहुत तेजी से किया गया। मुझे लगता है कि ये अब कारोबार का लगातार चलते वाला हिस्सा बन जाएगा।”
उन्होंने कहा कि कई छोटे भारतीय स्टार्टअप ने यह अनुभव किया है कि वे घर से काम करने में उतने ही प्रभावी हैं और अब वे सोच रहे हैं कि क्या उन्हें स्थायी कार्यालय (Permanent office) की जरूरत है? उन्होंने कहा, “हम (भारतीय आईटी सेवा कंपनियां) पहले की तरह काम करने नहीं जा रहे हैं।”’ साथ ही उन्होंने कहा कि कंपनियों को इस बारे में सोचना होगा कि वे भविष्य में किस तरह काम करेंगी और उन्हें कितने बड़े कार्यालय की जरूरत है।
गोपालकृष्णन का मानना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी कम से कम 20-30 प्रतिशत आईटी कर्मचारी घर से काम करना जारी रखेंगे और ये स्थिति सामान्य हो जाएगी। यानी करीब 12 लाख लोग घर से काम करेंगे।