कोलंबो। बीते रविवार को ईस्टर हुए आतंकी हमले के बाद से द्वीपीय देश श्रीलंका मानो दोराहे पर खड़ा है। एक ओर 10 साल बाद देश में फिर सिर उठा रहे आतंकवाद से निपटने की चुनोती है तो वहीं सत्ता शीर्ष की आंतरिक कलह भी सतह पर गई है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच मतभेद की खबरों के बीच राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना के एक बयान ने तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने शुक्रवार को यह स्वीकार किया कि एक मित्र देश से इस संबंध में खुफिया रिपोर्ट मिली थी लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने यह रिपोर्ट उन तक नहीं पहुंचाई।
गौरतलब है कि श्रीलंका में ईस्टर पर गिरजाघरों और पांच सितारा होटलों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों से पहले ही भारत ने इस संबंध में खुफिया रिपोर्ट श्रीलंका को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में इस द्वीपीय देश में आतंकवादी घटना को अंजाम दिए जाने के बारे में स्पष्ट संकेत थे।
राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने कहा कि गृह युद्ध के बाद सैन्य खुफिया अधिकारियों पर मुकदमे चलने की वजह से देश की राष्ट्रीय सुरक्षा भी कमजोर हुई है। सरकार को ईस्टर के मौके पर हुए आतंकी हमलों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
इस बीच श्रीलंका ने ईस्टर पर हुए आतंकी हमले में मरने वालों की संख्या में बदलाव किया गया है। अधिकारियों ने इस हमले मे 253 लोगों के मौत की पुष्टि की है जबकि इससे पहले यह संख्या साढ़े तीन सौ से ज्यादा बताई जा रही थी। अधिकारियों ने मृतकों की पहले बताई गई संख्या को दोषपूर्ण गिनती करार दिया है। श्रीलंका के उप रक्षा मंत्री रूवान विजवर्दिन ने इसके लिए मुर्दाघर द्वारा उपलब्ध कराए गए गलत आंकड़ों को दोषी बताया है। उन्होंने कहा कि घटनास्थल से शरीर के अंगों की पहचान करने में काफी कठिनाई हुई। इस वजह से पहले गलत आंकड़े जारी हो गए थे।
अधिकारियों ने कहा है कि इन धमाकों में 38 विदेशियों की भी मौत हुई है जिनमें सर्वाधिक 11 भारत के नागरिक थे। इन आत्मघाती धमाकों में लगभग 500 लोग घायल हुए हैं।