book on diabitiesबरेली, 7 अप्रैल। आजादी के 69 वर्षो के बाद भी अंग्रेजियत की गुलामी बरकरार है। वर्तमान दौर में भी अंग्रेजी दवाईयों के दुष्प्रचार के चलते रोगग्रस्त लोग बेहद परेशानी के दौर से गुजर रहे है। जिसका जल्द से जल्द निराकरण बेहद आवश्यक हैै। यह विचार विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर इण्डि़या बुक आॅफ रिकार्ड के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार व बुक विमोचन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष संजय सिंह ने लोगो को सम्बोधित करते हुुए कही। उन्होने कहा कि डायबिटीज के लिए डाॅ विश्वरूप राॅय चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक नये आयाम रचेगी। ऐसी कामना है। विशिष्ट अतिथि नगर विधायक डा अरूण कुमार ने डायबिटिज को वर्तमान दौर में भारत की सबसे बडी बीमारी बताया। उन्होने सभी से स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की अपील की। बरेली मीडि़या क्लब के अध्यक्ष शमी खान ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि डायबिटीज जैसी बीमारी के खिलाफ दुष्प्रचार को मिटाने में यह पुस्तक काफी उपयोगी साबित होगी। मुख्य वक्ता रामभरोसे गल्र्स इण्टर कालेज की प्रधानाचार्या डा उषा किरन ने अपने उद्बोधन में सभी से अंग्रेजी दवाईयों के मकड़जाल को मिटाने के लिए एक लड़ाई लड़ने की अपील की। विश्वरिकार्ड धारक चित्रकार व रचनाकार अपूर्व अग्रवाल ने बताया कि इस किताब के जरिये लोग स्वयं को शिक्षित कर सकते है कि डायबिटीज का बिना दवाईयों के इलाज कैसे किया जाता है।

ajmera institute of media studies, bareillyसहसंयोजक हर्ष कुमार अग्रवाल ने बताया कि इस पुस्तक में जीवनशैली से सम्बंधित अन्य बीमारियों के इलाज की साधारण वैज्ञानिक तकनीकों को बेहद सरल भाषा व शैली में संजोकर इसे सर्वाधिक उपयोगी बनाया है। उन्होने डाॅ विश्वरूप  का परिचय देते हुए बताया कि वह डायबिटीज विशेषज्ञ हैं। उन्होने 25 से ज्यादा पुस्तकें शरीर, मन और स्मरण शक्ति पर लिखी है। जिनमें हार्ट माफिया और डायबिटीज टाइप वन एण्ड टू, क्योर इन 72 आवरस बहुचर्चित और सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तके है। श्री अग्रवाल ने इण्डों वियतनाम मेडि़कल बोर्ड के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारत और वियतनाम पूरी दुनिया में अपनी ऐतिहासिक परंपरागत चिकित्सा ज्ञान के लिए जाने जाते है। इण्ड़ो वियतनाम मेडि़कल बोर्ड के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारत और वियतनाम पूरी दुनिया में अपनी ऐतिहासिक परंपरागत चिकित्सा ज्ञान के लिए जाने जाते है। इण्ड़ो वियतनाम मेडि़कल बोर्ड का मुख्य लक्ष्य है इन दोनो देशों के हीलिंग विज्ञान को एक साथ मिलकर लोगो को समग्र रूप से श्रेष्ठ चिकित्सीय सुविधाएॅ प्रदान की जाएं। लास्ट डेज आॅफ डायबिटीज पुस्तक में क्या आप डायबिटीज के मरीज है, आप कैसे जानते है कि आप डायबिटीज से पीडि़त है इन सवालों के जवाब भी दिएं गये है। सबसे पहले हमें यह जानना पडेगा कि डायबिटीज काई बीमारी नहीं है। यह वह अवस्था है जिसमें आपके खून में शुगर की मात्रा एक निश्चित स्तर से उपर या नीचे चली जाती है। तो हदय रोग, गुप्त रोग, अंधापन और किसी किसी परिस्थिति में जान भी जा सकती है। डायबिटीज पर मची चिकित्सकीय लूट को भी बताया गया है। साथ ही आजादी के 69 वर्षो के बाद भी भारतीय समाज में अंग्रेजी दवाईयों की गुलामी का पर्दाफाश किया गया है। इस मौके पर डायबिटीज से जुड़ी गलत अवधारणाओं को चैंकाने वाले वैज्ञानिक तथ्यों से तोड़ा गया। विमोचन के उपरांत हुए सेमिनार का नाम 72 घण्टों में रोग मुक्ति डायबिटीज टाइप वन व टू था। जिसमें 72 घण्टों में रोग मुक्ति डायबिटीज बतायी गयी। आयोजन में इण्ड़ो वियतनाम मेडि़कल बोर्ड का आयोजन प्राप्त हुआ। इस मौके पर समाजसेविका मोबीन सलमानी, डा मीनाक्षी चंद्रा, शिप्रा शुक्ला, हिमानी शुक्ला, शुभम मेहरोत्रा, ज्वाला देव अग्रवाल, प्रशांत अग्रवाल, मारूत कुमार सिंह, प्राची अरोड़ा आदि मौजूद रहे।

By vandna

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