नई दिल्ली। भारतीय सेना आम नागरिकों को भी सेना में शामिल होकर देश की सेवा करने का मौका देने पर विचार कर रही है। इसके लिए तीन साल की “टूअर ऑफ ड्यूटी” के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक यह कंपलसरी मिलिट्री सर्विस की तरह नहीं होगा बल्कि कुछ वेकेंसी निकाली जाएंगी जिसमें इच्छुक युवा देश की सेवा में अपना स्वैच्छिक योगदान दे सकेंगे। अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो गया तो यह देश के इतिहास में एक बड़ा कदम होगा। गौरतलब है कि अमेरिका, इजरायल समेत कई देशों में देश के हर नागरिक के लिए कुछ समय सशस्त्र सेनाओं में काम करना अनिव्रार्य है।
सेना के एक प्रवक्ता ने बुधवार को जानकारी दी कि ऐसे प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है जिसके तहत आम नागरिकों को भी देश की सेवा के लिए सेना ज्वाइन कर तीन साल की “टूअर ऑफ ड्यूटी” का मौका मिल सकेगा। दरअसल, भारतीय सेना देश के प्रतिभाशाली युवाओं को अपने साथ जोड़ना चाहती है। शुरुआत में कुछ वेकेंसी निकालकर और फिर सफलता मिली तो इसका विस्तार करने पर विचार किया जा सकता है।
मौजूदा वक्त में शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिए सेना ज्वाइन करने वालों को कम-से-कम 10 वर्ष की नौकरी करनी होती है। सेना में इससे कम अवधि की ड्यूटी का प्रावधान अभी नहीं है। सूत्रों ने बताया कि सेना के शीर्ष अधिकारी अल्प सेवा कमीशन के प्रावधानों की भी समीक्षा कर रहे हैं, ताकि इसे युवाओं के लिए ज्यादा आकर्षक बनाया जा सके।
“टूअर ऑफ ड्यूटी” की चयन प्रक्रिया में कोई छूट नहीं दी जाएगी। मतलब, अगर आप तीन साल के लिए भी अपने देश की सेना का हिस्सा बनना चाहते हैं तो आपको उसी चयन प्रक्रिया से गुजरना होगा जिससे पूर्णकालिक कमीशन के इच्छुक युवाओं को गुजरना होता है। साफ है कि भारतीय सेना क्वॉलिटी से कोई समझौता नहीं करेगी।
गौरतलब है कि भारतीय सेना में पिछले कुछ सालों से अधिकारियों की कमी बनी हुई है। इसलिए वह कमीशन में बदलाव का काम जल्द करना चाहती है। शॉर्ट सर्विस कमीशन की शुरुआत न्यूनतम 5 वर्षों की सर्विस के साथ हुई थी लेकिन इसे बाद में बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया था।
कॉस्ट इफेक्टिव भी होगा
प्रस्ताव में बताया गया है कि युवाओं को तीन साल के लिए सेना ज्वाइन कराना कॉस्ट इफेक्टिव भी होगा। इससे खर्चा कम होगा और बचे हुए बजट को सेना अपने आधुनिकीकरण के लिए इस्तेमाल कर पाएगी। इसमें कहा गया है कि अगर कोई सैन्य अधिकारी 10 साल बाद सेना छोड़ता है तो वेतन, भत्ते, ग्रेचुइटी और दूसरे खर्चे मिलाकर सेना उस पर 5.12 करोड़ रुपये खर्च करती है। अगर टूअर ऑफ ड्यूटी का प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो अधिकार पर तीन साल में 80 से 85 लाख तक का ही खर्च आएगा। अभी एक सिपाही 17 साल बाद रिटायर होता है। अगर 3 साल के लिए कोई सिपाही रहा तो उस पर कई करोड़ रुपये बचाए जा सकते हैं।