नई दिल्‍ली।  जिस मुद्दे को लेकर चार दिन तक राजनीति गर्माई रही उसका आखिरकार हल नहीं निकल सका। उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की भेजी बसों को उत्तर प्रदेश की सीमा से ही वापस भेज दिया गया। 1000 बसों की सूची को लेकर उठे विवाद के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रियंका की उस पेशकश को ठुकरा दिया जिसके तहत उन्होंने प्रवासी मजदूरों के लिए 1000 बसों की मदद का प्रस्‍ताव दिया था। ये बसें राजस्‍थान से उत्तर प्रदेश भेजी गई थीं।

राजस्‍थान सरकार में मंत्री सुभाष गर्ग ने बुधवार को दोपहर बाद मीडिया को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक अनुमति नहीं मिलने के बाद उत्तर प्रदेश सीमा से ही इन बसों के राजस्‍थान लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है।

दरअसल, प्रियंका गांधी की ओर से भेजी गई बसों को पास न होने की वजह बताकर मंगलवार को पुलिस ने आगरा की सीमा में घुसने नहीं दिया। राजस्थान की सीमा पर धरना देकर बैठे उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को पुलिस ने मंगलवार की शाम गिरफ्तार कर लिया। उन पर लॉकडाउन उल्लंघन की धारा और महामारी एक्ट लगाया गया है। उनके साथ उपाध्यक्ष प्रदीप माथुर, जिलाध्यक्ष मनोज दीक्षित और विवेक बंसल को भी गिरफ्तार किया गया है। इसके बाद राजनीति और गरमा गई। बुधवार को प्रियंका गांधी वाड्रा के आगरा में आने की सूचना पर सियासी पारा और चढ़ गय लेकिन शाम तक प्रियंका नहीं आईं। उनका आदेश आया और 33 घंटे के बाद राजस्थान की बसों को वापस भेज दिया गया।

सूची में 460 बसें फर्जी, 297 बसें कंडमः दिनेश शर्मा

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया कि इस कठिन समय में कांग्रेस जिस तरह की राजनीति कर रही है, ऐसा कभी किसी बड़े राजनीतिक दल ने नहीं किया। पत्रकारों से बात करते हुए शर्मा ने कहा, “कांग्रेस पार्टी के पास कोई बस नहीं है। ये सारी बस राजस्थान सरकार की हैं। जब कांग्रेस द्वारा दी गई बसों की सूची का विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि करीब 460 बसें फर्जी हैं। ऐसे कठिन समय में किसी भी बड़े राजनीतिक दल ने ऐसी राजनीति नहीं की।”

उन्होंने कहा, “पहले उन्होंने बसों की सूची दी। ये बसें राजस्थान सरकार की थीं जिनमें से करीब आधी 460 बसें फर्जी पाई गईं, करीब 297 बस कबाड़ मिलीं जो सड़कों पर चलने लायक नहीं थीं। क्या हम अनफिट बसों को सड़क पर चलाकर प्रवासी मजदूरों की जिंदगी खतरे में डाल दें? सूची में 98 तीन पहिया वाहन, कार और एंबुलेंस के नंबर पाए गए जबकि 68 वाहनों के कागज सही नहीं थे।”

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने सवाल उठाया, “आखिर किसी प्रदेश सरकार की संपत्ति को कोई राजनीतिक दल कैसे इस्तेमाल कर सकता है?” उन्होंने कहा, “क्या कोई राजनीतिक दल राजस्थान राज्य सरकार की बस अपने लिए इस्तेमाल कर सकता है? मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को याद दिलाना चाहता हूं कि वह उस समय दुखी नहीं हुए थे जब हमारे बच्चे कोचिंग केंद्र कोटा में परेशान थे, रो रहे थे। बच्चों को खाना-पानी नहीं मिल रहा था। उस समय ये बसें कहां थीं?”  उन्होंने आगे कहा, “उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 600 से अधिक बसों को वहां भेजने का आदेश दिया ताकि बच्चे सही-सलामत अपने घर आ सकें।”

राजनीतिक स्टंट कर रही कांग्रेसः दिनेश शर्मा

उन्होंने कहा, “कांग्रेस जो इस समय कर रही है, वह राजनीतिक स्टंट से अधिक कुछ नहीं है ताकि उसे इससे कुछ लाभ मिल सके। अगर वे वास्तव में श्रमिकों की मदद करना चाहते हैं तो उन्हें राजस्थान, पंजाब और महाराष्ट्र में बसें भेजनी चाहिए। राजस्थान सरकार पंजाब और महाराष्ट्र बस क्यों नही भेजती है? वहां मजदूर परेशान हैं, उन्हें पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा है।”

उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक 1000 ट्रेन आ चुकी हैं। अब तक 10 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को इन ट्रेनों की मदद से प्रदेश में वापस लाया जा चुका है। साढ़े छह लाख से अधिक मजदूर बसों से वापस आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने  27 हजार से अधिक बसें मजदूरों को लाने के लिए लगा रखी हैं।

दिनेश शर्मा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि अगर उन्हें कांग्रेस द्वारा भेजी गई बसों पर कोई संदेह है तो वह उनका भौतिक सत्यापन करा लें। एक बार में सबके सभी संदेह दूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह गंदी राजनीति का उदाहरण है।

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