कोलंबो। ईस्टर के दिन आतंकवादी हमले से दहले श्रीलंका में मुस्लिम महिलाएं अब सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा नहीं ढक पाएंगी। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा घोषित नए नियम सोमवार से प्रभावी हो गए हैं। उन्होंने रविवार को नए नियम की घोषणा की थी। इसके तहत चेहरे को ढकने वाली किसी भी तरह की पोशाक पहनने पर रोक लगा दी गई है। हालांकि राष्ट्रपति की ओर से जारी शासकीय आदेश में नकाब और बुर्के का उल्लेख नहीं है।
नए नियम में खास तौर पर उल्लेख किया गया है, “पहचान में बाधक चेहरे पर डाला जाने वाला किसी भी तरह का कपड़ा।” राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा, “यह प्रतिबंध राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए है….किसी को अपना चेहरा ढककर अपनी पहचान मुश्किल नहीं बनानी चाहिए।”
राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने आपात नियमों के तहत यह कदम उठाया है जिसके जरिए चेहरे को ढकने वाले किसी भी तरह के कपड़े के प्रयोग को प्रतिबंधित किया गया है, ताकि किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने में दिक्कत न आए और राष्ट्र एवं जन सुरक्षा के लिए कोई खतरा न पैदा हो। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने का महत्त्वपूर्ण मानदंड उसके चेहरे का साफ-साफ दिखना है।
इस बीच जमीयत उल उलेमा के प्रवक्ता फाजिल फारूक ने कहा, “हमने सुरक्षाबलों के साथ सहयोग करने के लिए लोगों को घर से चेहरा बिना ढके निकलने की अनुमति दी है।” गौरतलब है कि सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद लोग नकाब एवं बुर्का को प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे थे। श्रीलंका में मुस्लिमों की आबादी 10 प्रतिशत है।
खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने श्रीलंका में ईस्टर पर हुए बम धमाकों की जिम्मेदारी ली है। उसके स्थानीय म़ॉड्यूल की धरपकड़ के लिए पुलिस व सेना ने देशभर में अभियान चला रखा है।