प्रयागराज।(Allahabad High Court’s big decision in the interest of adults) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिगों के हित में गुरुवार को बड़ा फैसला दिया है। अदालत ने कहा, “लड़का-लड़की, स्त्री और पुरुष अपनी मर्जी से जहां, जिसके साथ रहना चाहें रह सकते हैं। अभिभावकों, अदालत या पारिवारिक रिश्तेदारों को उनके जीवन की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।”
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा है कि बालिग लड़का या लड़की अपनी पसंद से जिसके साथ रहना चाहें रह सकते हैं। साथ ही परिवार द्वारा उन्हें परेशान करने से एवं जीवन स्वतंत्रता हस्तक्षेप करने से रोकने का आदेश देने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी। लेकिन, याचीगण को छूट दी है कि वे नियमानुसार परेशान करने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई कर सकते है।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने रेशमा देवी व अन्य की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है और अपने पति के साथ रह रही है। उसके परिवार वाले उसे परेशान कर रहे हैं। अपर महाधिवक्ता वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने याचिका को यह कहते हुए खारिज करने की मांग की कि याची ने 6 सितंबर 2019 को शादी की तो उस समय वह नाबालिग थी। नाबालिग को संरक्षण देने का अधिकार माता- पिता को है। याचिका पोषणीय नहीं है किंतु कोर्ट ने कहा कि याची वर्तमान समय में 18 वर्ष से अधिक उम्र की है। बालिग है। उसे अपनी मर्जी से जहां चाहे रहने का अधिकार है।