नई दिल्ली। (Many important decisions approved for MSME sector, street vendors and farmers) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आत्मनिर्भर राहत पैकेज के तहत घोषित विभिन्न उपायों को मंजूरी मिल गई। बैठक में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए कई ऐतिहासिक फैसले किए गए जो एमएसएमई क्षेत्र, किसानों और रेहड़ी-पटरी वालों के जीवन पर प्रभाव डालने वाले हैं। एमएसएमई को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा गया है जिनकी संख्या करीब 6 करोड़ है। कोविड-19 की महामारी के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एमएसएमई की आत्मनिर्भरता को पहचाना और उसे पैकेज भी दिया गया ताकि वे संभल सकें। मोटो तौर पर सरकार की घोषणाओं से 66 करोड़ लोगों को फायदा होगा जिनमें 55 करोड़ खेती पर निर्भर लोग हैं जबकि 11 करोड़ ऐसे लोग हैं जो एमएसएमई में काम कर रहे हैं।
एमएसएमई को 20 हजार करोड़ का लोन
बैठक में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत घोषणाओं के लिए रोडमैप तैयार किया गया। कैनबिनेट मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बैठक में लिये गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि इन घोषणाओं से एमएसएमई क्षेत्र में निवेश आएगा और नौकरियां पैदा होंगी। संकट में फंसे एमएसएमई को इक्विटी सहायता देने को घोषणा हुई है जिसके तहत 20 हजार करोड़ रुपये की सहायता के प्रावधान पर मुहर लग गई है। इससे संकट में फंसे 2 लाख एमएसएमई को फायदा होगा। 50 हजार करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश का प्रस्ताव भी पहली बार हुआ है जिससे एमएसएमई उद्योगों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचिबद्ध होने का मौका मिलेगा।
एमएसएमई की परिभाषा में और संशोधन
एमएसएमई की परिभाषा को भारत सरकार ने और संशोधित किया है। इकाई की परिभाषा के तहत निवेश की सीमा बढ़ाकर 1 करोड़ के निवेश और 5 करोड़ का कारोबार कर दिया है। लघु इकाई निवेश की सीमा बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये और 50 करोड़ रुपये का कारोबार कर दिया गया है। मध्यम इकाई के तहत 20 करोड़ रुपये निवेश और 250 करोड़ रुपये का कारोबार कर दिया है। मध्यम और मैन्युफैक्चरिंग सेवा इकाइयों की सीमा भी बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये निवेश और कारोबार की सीमा 250 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी है। ये भी फैसला लिया गया है कि निर्यात में एमएसएमई को किसी भी टर्नओनर में नहीं गिना जाएगा, चाहे वह सूक्ष्म हों, लघु हों या फिर मध्यम हों।
रेहड़ी-पटरी और ठेले वालों को लोन की सौगात
कैबिनेट की बैठक में रेहड़ी-पटरी और ठेले वालों के लिए एक विशेष ऋष योजना पर भी मोहर लगाई गई। इससे रेहड़ी-पटरी और ठेले वालों, छोटी दुकान वालों और सड़क पर माल बेचने वाले शामिल हैं। इनकी क्षमता बढ़े और उकाम चले, इसके लिए अधिक लोन दिया जाएगा और ये योजना लंबी चलेगी। इससे 50 लाख से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। रेहड़ी-पटरी और ठेले लगाकर बहुत से लोग सब्जी, फल, चाय, पकौडा, चप्पल, किताब, अंडा और कई अन्य चीजें बेचते हैं। इसके तहत सैलून, मोची, लॉन्ड्री और पान की दुकानें भी आएंगी। कोरोना वायरस (कोविड-19) के दौरान इनका ध्यान रखने के लिए योजना शुरू की गई है, ताकि उन्हें मदद मिले।
10 हजार रुपये तक मिलेगा लोन
फुटपाथ दुकानदारों को इस योजना के तहत 10 हजार रुपये का लोन दिया जाएगा जिसे वे मासिक किस्तों में 1 साल में लौटा सकते हैं। समय से भुगतान करने पर 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सब्सिडी के रूप में लाभार्थी के खाते में डाल दिया जाएगा। इसमें दंड का कोई प्रावधान नहीं है। बैंक और स्वयं सहायता समूहों की जिम्मेदारी भी तय की गई है, ताकि ये फायदा जिनके लिए है, उन तक आसानी से पहुंच सके। इसमें पारदर्शिता बनी रहे, इसके लिए पोर्टल और मोबाइल ऐप भी तैयार किए गए हैं।
किसानों के लिए भी अहम घोषणाएं
कैबिनेट की बैठक में किसानों के लिए भी बड़े फैसले किए गए। न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल की कुल लागत का डेढ़ गुना रखने का वादा सरकार पूरा कर रही है। 14 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी भी कर दिया है। बैंकों द्वारा खेती और उससे जुड़े काम-धंधों के लिए 3 लाख रुपये तक के अल्पकालिक भुगतान की तिथि भी 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी गई। किसान को ब्याज में छूट और अदायगी में मोहलत का फायदा मिलेगा। ब्याज में 2 फीसदी और अदायगी में 3 फीसदी का फायदा होगा। आम तौर पर 9 प्रतिशथ ब्याज पर कर्ज मिलता है लेकिन सरकार 2 प्रतिशत सब्सिडी देते हुए किसान को 7 प्रतिशथ ब्याज पर कर्ज दे रही है। इसके तहत 3 लाख रुयेए तक का लोन दिया जा रहा है। समय से भुगतान करने पर 3 प्रतिशत की छूट दी जाएगी यानी 4 प्रतिशत ब्याज पर किसानों को 3 लाख रुपये का लोन मिलेगा। ये लोन किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए दिया जेगी। पिछले कुछ हफ्तों में बहुत से किसान लोन अदायगी के लिए बैंक नहीं जा सके हैं। ऐसे सभी लोगों को सरकार के फैसलों से लाभ होगा।