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नई दिल्ली। जुलाई में स्कूल-कॉलेज खोलने की सुगबुगाहट के बीच लाखों अभिभावक इस प्रस्ताव के विरोध में खड़े हो गए हैं। देशभर के करीब 2.13 लाख माता-पिता ने केंद्र सरकार को भेजी अर्जी पर हस्ताक्षर करके कहा है कि जब तक कोरोवा वायरस (कोविड-19) के हालात सुधर नहीं जाते या उसकी वैक्सीन तैयार नहीं हो जाती, तब तक स्कूल नहीं खोले जाने चाहिए। यह अर्जी ऐसे समय भेजी गई है जब केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि स्कूलों,-कॉलेजों, कोचिंग सेंटरों और अन्य शिक्षण संस्थाओं को जुलाई में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कोरोना वायरस के हालात की चर्चा के बाद खोला जाएगा।

गौरतलब है कि केद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले शनिवार को अनलॉक-1 की गाइडलाइंस जारी की थीं। इसमें 31 मई को खत्म हो रहे लॉकडाउन 4 के बाद देशव्यापी रियायतें दी गई हैं। 25 मार्च से लगे देशव्‍यापी लॉकडाउन के बाद एक-एक कर सभी सेक्‍टरों को खोला जा रहा है।  

यह सरकार का सबसे खराब फैसला होगा

अभिभावकों की अर्जी में कहा गया है, “जुलाई में स्कूलों को खोलना सरकार का सबसे खराब फैसला होगा। यह ऐसे समय आग से खेलने जैसा होगा, जब हमें उसे पूरी ताकत से बुझाना चाहिए। वर्तमान शैक्षणिक सत्र को ई-लर्निग मोड में जारी रखा जाना चाहिए। अगर स्कूल दावा करते हैं कि वर्चुअल लर्निग के जरिये वे अच्छा काम कर रहे हैं तो क्यों न इसे बाकी शैक्षणिक सत्र में भी जारी रखा जाए।”

गौरतलब है कि महाराष्ट्र, केरल और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों ने जून से ही स्कूली गतिवधियों को शुरू करने के संकेत दिए है। ऐसे में केंद्रीय मानव संसाधन (एचआरडी) मंत्रालय भी स्‍कूल-कॉलेजों के लिए सेफ्टी गाइडलाइन को जल्द जारी करने की तैयारी में है। स्कूल, कॉलेज, शैक्षिक संस्थान, कोचिंग संस्थान आदि खोले जाने का निर्णय राज्य सरकारों से विचार विमर्श के बाद किया जाएगा। अब ज्‍यादा जिम्‍मेदार राज्‍य सरकारों के पास होगी। 

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