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बरेली। पूर्वी उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों हुई चमगादड़ों की मौत की वजह कोरोना वायरस नहीं बल्कि गर्मी की प्रचण्डता रही। यह खुलासा बरेली में आईवीआरआई की जांच में हुआ। गर्मी की भीषणता और पानी की कमी से चमगादड़ों में ब्रेन हेमरेज हो गया था। बता दें कि पिछले दिनों इन चमगादड़ों की रहस्यमय मौत से लोगों में हड़कम्प मच गया था। चमगादड़ों के शव बरेली के आईवीआरआई में पोस्टमार्टम कर जांच के लिए भेजे गये थे।

अधिक तापमान और पानी कमी से होता है डिहाइड्रेशन

आईवीआरआई के निदेशक डॉ. आर.के. सिंह ने आज कहा कि पिछले दिनों तापमान 45 डिग्री पार कर गया था। गर्मी की यह प्रचण्डता और पानी की कमी पशु और पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। कहा कि तापमान अधिक होने से पशुओं व पक्षियों में डिहाइड्रेशन की समस्या आ जाती है। समय से पानी ना मिले तो यह जानलेवा भी हो सकता है।

बता दें कि गोरखपुर के खोजनी रेंज के बेलघाट में तीन सौ से अधिक चमगादड़ों की मौत का मामला सामने आया था। इसके अलावा बलिया और बिहार में भी कई जंगलों में भी चमगादड़ों के मरने की खबर है।

डॉ. आर.के.सिंह ने बताया कि 40 डिग्री सेल्सियस के ऊपर का तापमान बर्दाश्त करना चमगादड़ के लिए आसान नहीं होता। दिन के समय चल रही गर्म हवाओं से उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत के लोग परेशान हैं। ऐसे में पशु-पक्षी भी तेज गर्मी के कारण हीट स्ट्रोक का शिकार होकर बीमार हो रहे हैं। इन पशुओं और पक्षियों को भी देखभाल की जरूरत होती है।

निगेटिव आयी कोरोना और रैबीज की रिपोर्ट

डॉ. सिंह ने बताया की पोस्टमार्टम के साथ ही चमगादड़ों का रेबीज और कोरोना की भी जाँच कराए गयी, दोनों ही जाचें निगेटिव आयी है। चमगादड़ों के मरने को लेकर संदेह किया गया था की इन की मौत कोरोना से हुई है, जो निर्मूल साबित हुई।

पालतू पशुओं का रखें ख्याल

डॉ. सिंह ने लोगों को सलाह दी है कि अपने पालतू पशुओं को खुले में रखने से बचें। गर्म हवाओं से बचाने के लिए उन्हें ढके स्थान यानि कवर्ड एरिया में ही रखना चाहिए। घुमाने चराने के लिए सुबह-शाम को ले जाना चाहिए। पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए तालाब या किसी भरे हुए स्थान का पानी पीने से उन्हें बचायें।

By vandna

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