नई दिल्ली। देश की पश्चिमी सीमा के पार से आये टिड्डी दलों का खतरा फिलहाल टला है, खत्म नहीं हुआ है। भारत को जुलाई में एक बार फिर टिड्डियों के हमले का सामना करना पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने इस बात की चेतावनी दी है। इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने 16 राज्यों को सतर्क रहने को कहा है जिनमें इस टिड्डियों से बुरी तरह प्रभावित राजस्थान और मध्य प्रदेश शामिल हैं। गौरतलब है कि टिड्डियां एक दिन में 150 किलोमीटर तक उड़ सकती हैं और एक वर्ग किलोमीटर का झुंड 35,000 लोगों के जितना भोजन चट कर सकता है।
एफएओ ने गुरुवार को कहा कि मानसून से पहले मई में दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान से टिड्डियों का दल राजस्थान पहुंचा। वर्ष 1962 के बाद पहली बार टिड्डियों का दल उत्तरी राज्यों में पहुंचा। विशेषज्ञों के अनुसार, टिड्डियों के दल पाकिस्तान से भारत में दाखिल हुए और इन्होंने पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर फसलों को चट कर दिया।
एफएओ के मुताबिक, राजस्थान के रेगिस्तान में मानसून की शुरुआत में अंडे देने के लिए लौटने से पहले टिड्डियों का दल पूर्व और पश्चिम की तरफ बढ़ेगा। जून में दक्षिण ईरान की तरफ से टिड्डियों का दल भारत में आएगा। इसके बाद “हॉर्न ऑफ अफ्रीका” की तरफ से जुलाई में टिड्डियों का बड़ा दल भारत पहुंचेगा। एफएओ ने कहा है कि पूर्वी अफ्रीका और उत्तर-पश्चिमी केन्या में टिड्डियों ने अंडे देना शुरू कर दिए हैं और वहां कई टिड्डी दल इकट्ठा हो रहे हैं। ये सभी दल जून के दूसरे सप्ताह से लेकर मध्य जुलाई तक अपरिपक्व टिड्डों के साथ भारत की ओर बढ़ेंगे।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन संगठन ने कहा कि ऐसी ही स्थिति सोमालिया और इथियोपिया में उत्पन्न हो रही है। अधिकतर नई टिड्डियां मध्य जून के बाद केन्या से इथियोपिया और उत्तर सूडान से दक्षिण सूडान की ओर जाएंगी जबकि अन्य टिड्डियां उत्तरी इथियोपिया में चली जाएंगी। उत्तर-पूर्व सोमालिया तक पहुंचने वाले टिड्डियों को लेकर संभावना है कि वे उत्तरी हिंद महासागर में भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र की ओर बढ़ सकती हैं।