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कोलकाता। (ICC Annual Plan Session) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोरोना वायरस आपदा को हमें बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट बनाना है। ये टर्निंग पॉइंट है- आत्मनिर्भर भारत। उन्होंने कहा, “ये समय अवसर को पहचानने का है, खुद को आज़माने का है और नई बुलंदियों की ओर जाने का है।”प्रधानमंत्री ने गुरुवार को  वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC) के 95वें वार्षिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पीपुल, प्लेनेट और प्रॉफिट एक-दूसरे से इंटरलिंक हैं। ये तीनों एक साथ आगे बढ़ सकते हैं। इसे एलईडी बल्ब के उदाहरण से समझ सकते हैं। 5-6 साल पहले एक एलईडी बल्ब 350 रुपये से भी ज्यादा में मिलता था लेकिन अब 50 रुपये में भी मिल जाता है। कीमत कम होने से एलईडी बल्ब घर-घर पहुंचे। इससे उत्पादन लागत कम हुई और लाभ भी बढ़ा। आम आदमी का बिजली का बिल कम हुआ है। देशवासियों को हर साल करीब 19 हजार करोड़ रुपये की बचत हो रही है। इसका फायदा धरती को भी हुआ। सरकारी एजेंसियों ने जितने एलईडी बल्ब बेचे हैं उनकी वजह से चार करोड़ टन कार्बन का उत्सर्जन कम हुआ है।

नरेंद मोदी ने कहा इस बार की आईसीसी का वार्षिक सत्र ऐसे समय हुआ है जब देश के सामने एक साथ कई चुनौतियां हैं। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है। भारत भी लड़ रहा है लेकिन दूसरे संकट भी आ रहे हैं। ऐसे में हमारी एकजुटता और इच्छाशक्ति एक देश के रूप में बहुत बड़ी ताकत है। मुसीबत की एक ही दवाई है- मजबूती। मुश्किल समय ने हर बार भारत के संकल्प को मजबूत किया है। देशवासियों के संकल्प को ऊर्जा दी है।

भारतीयों को कई चीजें न कर पाने का पछतावा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भरता का यह भाव वर्षों से हर भारतीय ने एक संकल्प की तरह जिया है। फिर भी एक बड़ा काश भारतीयों के मस्तिष्क में रहा है कि काश हम मेडिकल, डिफेंस, कोल-मिनरल, फर्टिलाइजर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते। काश हम इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग, सोलर पैनल, चिप, एविएशन सेक्टर में भी आत्मनिर्भर होते। ऐसे कितने सारे काश हमेशा से हर भारतीय को झकझोरते रहे हैं।

कोरोना वायरस संकट से निकला है आत्मनिर्भर अभियान

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 5-6 वर्षों में देश की रीति-नीतियों में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सर्वोपरि रहा है। कोरोना काल ने हमें इसकी गति और तेज करने का सबक दिया है। इसी सबक से निकला है- आत्मनिर्भर अभियान। हम देखते हैं कि परिवार में भी बेटा-बेटी 18-20 साल का हो जाता है तो मां-बाप कहते हैं कि अपने पैरों पर खड़े होना सीखो। एक तरह से आत्मनिर्भर भारत का पहला पाठ परिवार से ही शुरू होता है।  आत्मनिर्भर भारत अभियान का सीधा सा मतलब है कि भारत दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम से कम करे। हर वह चीज जिसे आयात करने के लिए देश मजबूर है वह भारत में ही कैसे बने। हर वह सामान जो भारत का लघु उद्यमी बनाता है, जो सामान हमारे सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़े करोड़ों गरीब बनाते हैं, उसे छोड़कर विदेश से वही सामान मंगवाने की प्रवृत्ति पर भी हमें नियंत्रण करना है।

हमारा मकसद है किसानों को मजबूत बनाना


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारा मकसद किसानों को मजबूत बनाना है। लोकल प्रोडक्ट के लिए जिस क्लस्टर बेस्ड एप्रोच को भारत में बढ़ावा दिया जा रहा है, उसमें सभी के लिए अवसर मौजूद हैं। जिन जिलों में जो पैदा होता है उसके लिए वहीं क्लस्टर बनाए जाएंगे। जैसे पश्चिम बंगाल में जूट प्रोडक्ट को सुविधाएं दी जाएंगी, सिक्किम की तरह पूरा पूर्वोत्तर ऑर्गेनिक खेती के लिए बहुत बड़ा हब बन सकता है। आईसीसी के साथ जुड़े आप सभी व्यापारी ठान लें तो पूर्वोत्तर में ऑर्गेनिक खेती एक बड़ा आंदोलन बन सकता है। आप ग्लोबल मार्केट में छा सकते हैं।

नए लक्ष्य तय करे ICC

प्रधानमंत्री मोदी ने ICC के सदस्यों से कहा कि 5 साल बाद यानी 2025 में आपकी संस्था अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रही है। वहीं 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। ये आपकी संस्था के लिए, सदस्यों के लिए बेहतरीन समय है एक बड़ा संकल्प लेने का। आपसे आग्रह है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को चरितार्थ करने के लिए आईसीसी भी 50-100 नए लक्ष्य तय करे। 

ये समय कंजर्वेटिव एप्रोच का नहीं, साहसिक फैसलों का है

नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग में पश्चिम बंगाल की ऐतिहासिक श्रेष्ठता को हमें पुनर्जीवित करना होगा। हम सुनते आए हैं कि जो बंगाल आज सोचता है दूसरे लोग वह अगले दिन सोचते हैं। ये समय कंजर्वेटिव एप्रोच का नहीं, बल्कि साहसिक फैसलों का है। भारत में ग्लोबली डोमेस्टिक सप्लाई चेन तैयार करने का है। सभी स्टेकहोल्डर को संकट से निकालने में मदद करनी है और वैल्यू एडिशन में हैंड होल्डिंग करनी है।

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