नई दिल्ली।(Reservation is not fundamental right) सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को  आरक्षण पर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि “आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है।” इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु में मेडिकल सीटों पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण नहीं दिए जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इन्कार कर दिया। अदालत ने कहा कि तमिलनाडु के सभी राजनीतिक दल राज्य के ओबीसी के कल्याण के एक साथ मिलकर आगे आए हैं जो असामान्य बात है लेकिन आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है।

दरअसल, डीएमके, एआईडीएमके, सीपीएम, तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु की कई पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में NEET के तहत मेडिकल कॉलेज में सीटों को लेकर राज्य में 50 प्रतिशत OBC आरक्षण के मामले पर याचिका दायर की थी। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई लेकिन अदालत ने याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। इसी दौरान न्यायमूर्ति राव ने कहा, “आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है। सभी यचिकाएं सुप्रीम कोर्ट से वापस ली जाएं। आप हाईकोर्ट जा सकते हैं।”

 

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