नई दिल्ली। (India-China border standoff) वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन का कोई भी दुस्साहस उसे बहुत भारी पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को चीन की किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए खुली छूट (Free hand) दे दी है। तीनों सेनाओं को धरती, आसमान और समुद्री इलाके में चीन की किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए सख्त रवैया अख्तियार करने के लिए कहा गया है। दरअसल, थलसेना को स्थिति के मुताबिक कार्रवाई की छूट पहले भी दी गई थी लेकिन अब रक्षा मंत्री ने साफ कह दिया है कि सेना चीन की हर हरकत का जवाब देने के लिए तैयार रहे। यह भी जानकारी मिली है कि चीन के साथ लगती सीमा की रक्षा के लिए भारत अब से अलग सामरिक तरीके अपनाएगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में पूर्वी लद्दाख में एलएसी (गलवान घाटी और पैंगोंग झील) पर जारी हालात की समीक्षा की। सरकारी सूत्रों ने बैठक के बाद बताया कि चीन से लगी करीब 3500 किमी लंबी सीमा पर तैनात सशस्त्र बलों को चीन के किसी भी दुस्साहस का माकूल जवाब देने की पूरी आजादी दी गई है। इस बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायसेना प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदोरिया शामिल हुए।
रक्षा मंत्री ने तीनों सेना प्रमुखों से चीन की हर हरकत पर पैनी नजर रखने को कहा है। जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मार्गों पर चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। रक्षा मंत्री ने कहा है कि अगर चीन के सेना कोई दुस्साहस करती है तो इसका तुरंत करारा जवाब दिया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर कई जगह भारत और चीन की सेनाएं पिछले छह सप्ताह से आमने-सामने हैं। 15 जून की रात यह तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया जब गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए और 76 अन्य घायल हो गए। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक इस संघर्ष में चीन के भी 43 सैनिक हताहत हुए लेकिन उसने आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा है।
भारत ने कहा- गलवान घाटी पर चीन के दावे मंजूर नहीं
भारत सरकार का कहना है कि गलवान घाटी पर चीन के दावे मंजूर नहीं हैं। ये चीन के खुद के पहले के रुख के उलट हैं। गलवान पर स्थिति लंबे समय से साफ है। हम एलएसी से पूरी तरह वाकिफ हैं और इसका पालन करते हैं। भारत ने कभी एलएसी पार नहीं की। भारतीय सैनिक इस क्षेत्र में लंबे समय से गश्त कर रहे हैं। सभी निर्माण भारत की हद के अंदर ही हैं। भारत के नक्शे में सीमा स्पष्ट है। 60 साल में 43 हजार वर्ग किमी क्षेत्र पर अतिक्रमण के बारे में देश जानता है। सरकार एलएसी में एकतरफा परिवर्तन की इजाजत नहीं देगी। उधर, चीन लगातार गलवान घाटी को अपनी सीमा में बता रहा है। उसका कहना है कि गलवान घाटी चीन का हिस्सा है और एलएससी से हमारी तरफ है। भारतीय सैनिक यहां पर जबरन सड़क और पुल बना रहे हैं।