नई दिल्ली। भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हथियार न ले जाने के नियमों में बदलाव करते हुए फील्ड कमांडरों को “असाधारण’ परिस्थितियों” में हथियार (बंदूक) के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। सेना के सूत्रों ने बताया कि भारत और चीन के बीच हुई संधि के नियमों को बदल दिया गया है और फील्ड कमांडरों को सैनिकों को “असाधारण’ परिस्थितियों” में हथियार (बंदूक) का इस्तेमाल करने का आदेश देने को कहा गया है।
भारतीय पक्ष को पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए कोर कमांडर स्तर पर प्रस्तावित वार्ता के दौरान चीनी सेना के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने की उम्मीद है। भारत और चीन यानी दोनों पक्षों द्वारा 1996 और 2005 में हस्ताक्षर किए गए सीमा समझौतों के अनुसार एक-दूसरे पर गोली नहीं चलाने का करार है।
गौरतलब है कि बीते 15 जून की रात गलवान घाटी में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच खूनी झड़प हो गई थी। इस दौरान 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और कई चीनी सैनिक भी मारे गए और घायल हुए थे। इस झड़प के बाद चीन ने अपनी पोस्ट वहां से हटा ली थी।
आपको याद होगा कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि जमीन पर स्थिति से निपटने के लिए सेना को पूरी स्वतंत्रता दी गई है। आज (रविवार) सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ हुई बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सेना को चीन की किसी भी हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए खुली छूट (Free hand) दे दी है। उन्होंने तीनों सेनाओं को धरती, आसमान और समुद्री इलाके में चीन की किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए सख्त रवैया अख्तियार करने को भी कहा है।
गौरतलब है कि हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सवाल किया था कि भारतीय सैनिकों ने हथियार क्यों नहीं प्रयोग किए। इसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि सीमा पर सभी भारतीय जवान हथियारों से लैस होते हैं। यहां तक कि पोस्ट छोड़ने के दौरान भी भारतीय जवान हथियारों के साथ होते हैं। बीते 15 जून को हुई घटना का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा था कि उस दिन भी हमारे जवान निहत्थे नहीं थे। हमारे जवान वर्ष 1996 और 2005 में चीन के साथ हुए समझौते का पालन करते हुए गोला-बारूद का इस्तेमाल नहीं करने को मजबूर थे। गौरतलब है कि इन दोनों संधियों के दौरान 1996 में देवेगौड़ा और 2005 में मनमोहन सिंह (कांग्रेस) की सरकार थी।