वाशिंगटन।(US military intelligence report on India-China conflict  over LAC) पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में नियंत्रण रेखा (Lac) पर 15 जून 2020 की उस बेहद सर्द रात जो कुछ हुआ था, उसकी परतें खुलती जा रही हैं। साथ ही यह भी साफ हो गया  है कि “दगाबाज” चीन कभी नहीं सुधरने वाला है। अमेरिकी सैन्य खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने एलएसी पर योजनाबद्ध तरीके से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था लेकिन यह दांव उल्टा पड़ा। 

इस रिपोर्ट ने चीन के उन आरोपों को बेनकाब कर दिया है  जिसमें उसने भारतीय सैनिकों पर एलएसी पार कर हमला करने का आरोप लगाया था। साथ ही भारत के उन दावों को सही ठहराया है कि बड़ी संख्या में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने सुनियोजित तरीके से लोहे की रॉड और नुकीले हथियारों से हमला बोला था। रिपोर्ट के अनुसार, “सीमा पर संघर्ष तनावपूर्ण परिस्थितियों के बीच अचानक नहीं भड़का बल्कि चीनी सेना ने बेहद ठंडे दिमाग से यह प्लान तैयार किया गया था।” 

दरअसल, चीन की उम्मीद ही नहीं थी कि भारत उसकी बदमाशियों का इतना सख्त प्रर्तिरोध करेगा और जब ऐसा हुआ तो वह बौखला गया। उम्मीदें परवान न चढ़ने से झल्लाए चीनी सैन्य अधिकारियों ने यह कुचक्र रचा था। सैटेलाइट तस्वीरों से पहले ही सामने आ चुका है कि चीन लद्दाख में एलएसी के निकट बड़े पैमाने पर हथियारों और सैनिकों का जमावड़ा कर रहा था।

अमेरिकी सैन्य खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है चीन भारत को अन्य देशों के साथ  उलझाए रखना चाहता है ताकि अमेरिका और अन्य देशों के साथ उसकी नजदीकियों में कमी आए। 15 जून की रात हुए संघर्ष में भारत के 20 और चीन के 35 सैनिक शहीद हो गए थे। भारत के कमांडिग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू ने शहादत दी तो चीन के दो अधिकारियों को जान गंवानी पड़ी।

मारे गए सैनिकों के लिए हुई प्रार्थना सभा में शामिल हुआ था जनरल झाओ

रिपोर्ट के अनुसार, 15 जून के हमले के पीछे भारत से लगी चीन की पश्चिमी सीमा यानी वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रमुख झाओ जोंगकी और चीनी सैन्य आयोग में शामिल कुछ सेवानिवृत्ति अधिकारियों का दिमाग माना जा रहा है। झाओ मारे गए चीनी सैनिकों के लिए हुई प्रार्थना सभा में भी शामिल हुआ। सोशल मीडिया पर आई इस घटना की तस्वीरों को चीन सरकार ने सेंसर कर दिया ताकि हार और हताशा को छिपाया जा सके। 

डोकलाम गतिरोध में भी शामिल था जनरल झाओ

रिपोर्ट के अनुसार, वियतनाम युद्ध में शामिल रहा झाओ 2017 में हुए डोकलाम के गतिरोध में भी शामिल रहा था। उस दौरान  करीब ढाई महीने तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं। यह मानना भी मुश्किल है कि चीनी सेना के प्रमुख और राष्ट्रपति शी जिनपिंग को इस सैन्य कार्रवाई के बारे में पता नहीं होगा।

चीन को बड़ी आर्थिक चोट पहुंचाएगा भारत

अमेरिकी सैन्य खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हमले से भारत में चीन के खिलाफ बड़े पैमाने पर गुस्सा भड़का। साथ ही भारत को दबाव में लाने और अपनी शर्तों पर एलएसी तय करने की चीन की कोशिश भी नाकाम हो गई। भारत के कठोर जवाब की चीन को उम्मीद नहीं थी। चीनी उत्पादों के खिलाफ भारतीयों की नाराजगी उसे बड़ी आर्थिक चोट पहुंचाएगी। भारत दूरसंचार व अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में चीन पर पाबंदी लगाने के साथ ही 5जी नेटवर्क के लिए हुवावेई को होड़ से बाहर कर सकता है। 

error: Content is protected !!