नई दिल्ली। निजामुद्दीन मरकज मामले की अब तक की जांच में यह साफ हो गया है कि मरकज में इसी साल मार्च में हुए जलसे में शामिल हुए कई विदेशी नागरिक कोरोना वायरस से संक्रमित थे और इन सभी ने भारत के वीजा नियमों का भी उल्लंघन किया था। विदेश मंत्रालय मलेशिया, इंडोनेशिया आदि के सैकड़ों तब्लीगी जमातियों के अगले 10 साल तक भारत आने पर रोक लगा चुका है। साथ ही दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही जांच में शक की सुई चीन की ओर भी मुड़ रही है। क्राइम ब्रांच जांच कर रही है कि देश मे फैले कोरोना वायरस संक्रमण का एपिक सेंटर बने निजामुद्दीन मरकज में कोरोना वायरस कहीं चीन से तो नहीं आया था।
क्राइम ब्रांच को पता चला है कि जिस दौरान चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप अपने उच्चतम स्तर (Highest level) पर था, उस समय चीन से भी 7 जमाती मरकज में आयोजित सालाना जलसे में शामिल होने आए थे। उस समय मरकज के चीफ मौलाना मोहम्मद साद ने ही इन चीनी जमातियों को मरकज में ठहरने की अनुमति दी थे। चीन के ये सातों जमाती भी टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे और वीजा नियमो का उल्लंघन कर मरकज के कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
क्राइम ब्रांच ने इन सातों चीनी जमातियों के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की है। साथ ही यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि मरकज के जलसे में शामिल होने से पहले और जलसे के बाद ये चीनी जमाती देश में कहां-कहां गये थे।