नई दिल्ली। (India-China Tension) पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के सख्त तेवर और जोरदार जवाब के कारण चीन के तेवर ढीले पड़ने लगे हैं। चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने गलवान घाटी में संघर्ष वाली जगह से अपने सैनिकों को करीब दो किलोमीटर पीछे हटा लिया है। गलवान से चीन के सैनिकों की गाड़ियां और बख्तरबंद वाहन वापस जा रहे हैं। चीन के सैनिक पैट्रोलिंग पॉइंट 14 (पीपी 14) से टेंट हटाते दिखे। हॉटस्परिंग और गोगरा में भी भी चीन के सैनिक पीछे हटते दिखे। 15 जून की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच हुई डिप्लोमैटिक और आर्मी लेवल की मीटिंग्स के साथ ही पिछले 48 घंटों की लगातार कोशिशों के बाद चीन रविवार को पीछे हटने को तैयार हुआ। भारत ने भी अपने सैनिक पीछे हटा लिये। दोनों ने मिलकर 4 किलोमीटर का नो-मैन जोन बना लिया है।
खबरों के मुताबिक कमांडर स्तर की बातचीत में दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर रिलोकेशन पर सहमति जताई थी। बताया जा रहा है कि गलवान घाटी को अब बफर जोन बना दिया गया है ताकि आगे फिर से कोई हिंसक घटना न हो।
सूत्रों के मुताबिक अभी वेरिफिकेशन की प्रकिया पूरी नहीं हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की कि सैनिक पीछे हटे हैं लेकिन कहा कि कितना पीछे हटे हैं यह वेरिफिकेशन के बाद कंफर्म हो पाएगा। 30 जून को कोर कमाडंर स्तर की बैठक में वेरिफेकेशन की प्रक्रिया भी तय की गई थी। इसमें तय किया गया था कि एक कदम उठाने के बाद सबूत देखकर ही दूसरा कदम बढ़ाया जाएगा। वेरिफिकेशन में तीन दिन का समय लग सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि जैसे चीन ने एक टैंट हटाया तो तीन दिन के अंदर यूएवी से उसकी फोटो ली जाएगी और फिर पैट्रोलिंग पार्टी जाकर फिजिकल वेरिफिकेशन भी करेगी। जब वेरिफिकेशन हो जाएगा उसके बाद दूसरा कदम उठाया जाएगा।
दोनों देशों के सैनिक पीछे हटे
सूत्रों के मुताबिक 30 जून को हुई कोर कमांडर स्तर की बैठक में बनी सहमति के आधार पर गलवान क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट यानी सैनिकों का पीछे हटना शुरू हुआ। गलवान क्षेत्र में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 यानी पीपी-14 के पास से यह मूवमेंट हुआ है। यह वहीक् क्षेत्र है जहां पर 15 जून की रात बेहद सर्द रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। यहां पर चीनी सैनिक भारत की परसेप्शन लाइन से आगे आ गए थे। अब चीनी सैनिक करीब 2 किलोमीटर पीछे हुए हैं। इसी तरह भारतीय सैनिक भी पीछे हटे हैं।
कहीं चीन फिर तो नहीं देगा धोखा?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से मौसम भी चुनौती बना हुआ है और गलवान नदी भी उफान पर है। इसलिए अभी यह साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि चीनी सैनिक बातचीत में बनी सहमति के आधार पर ही पीछे गए हैं या फिर मौसम की चुनौती की वजह से। सूत्रों के मुताबिक गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग एरिया में भी चीनी सेना के भारी वाहनों की पीछे की तरफ मूवमेंट देखी गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था लेह का दौरा
चीन से तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 जुलाई को लेह का दौरा किया था और वहां सैनिकों से मिले थे। उस दौरान प्रधानमंत्री ने चीन का नाम लिये बगैर कहा था, “विस्तारवाद का युग समाप्त हो चुका है और अब विकासवाद का युग है। तेजी से बदलते समय में विकासवाद ही प्रासंगिक है। विकासवाद के लिए अवसर हैं, यही विकास का आधार है। बीती शताब्दी में विस्तारवाद ने ही मानव जाति का विनाश किया। किसी पर विस्तारवाद की जिद सवार हो तो हमेशा वह विश्व शांति के सामने खतरा है।” मोदी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें मिट जाती हैं।
गौरतलब है कि चीन समय-समय पर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों पर अपना दावा जताता रहता है। हाल ही में रूस और भूटान की कुछ जमीन पर भी उसने अपना दावा किया था।