नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वाट्सएप, ईमेल और फैक्स से लगभग सभी कानूनी प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य समन और नोटिस भेजने की इजाजत दे दी है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली पीठ ने माना कि यह अदालत के संज्ञान में लाया गया है कि नोटिस, समन और वाद की सेवा के लिए डाकघरों का दौरा करना संभव नहीं है। पीठ ने महसूस किया कि वाट्सएप और अन्य फोन मैसेंजर सेवाओं के माध्यम से उसी दिन नोटिस और समन भेजा जाना चाहिए। तीन सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी भी शामिल हैं।
पीठ ने स्पष्ट किया कि किसी पक्ष की वैध सेवा के लिए सभी तरीकों को लागू किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, “दो नीले निशान बताएंगे कि प्राप्तकर्ता ने नोटिस देख लिया है।” पीठ ने वाट्सएप को विशेष रूप से प्रभावी सेवा के रूप में नामित करने के अटॉर्नी जनरल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि केवल वाट्सएप को निर्दिष्ट करना व्यावहारिक नहीं होगा।
इससे पहले 7 जुलाई को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा था कि केंद्र सरकार को समन भेजने के लिए वाट्सएप जैसे मोबाइल एप के इस्तेमाल पर आपत्ति है। उन्होंने कहा था कि ये एप विश्वसनीय नहीं हैं।
चेक की वैधता बढ़ाने की अनुमति मिली
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन को देखते हुए रिजर्व बैंक को चेक की वैधता बढ़ाने की भी अनुमति दे दी। रिजर्व बैंक की ओर से पेश वकील वी. गिरि ने पीठ को सूचित किया कि उन्होंने पिछली सुनवाई पर जारी निर्देशों के अनुसार चेक की वैधता के संबंध में टिप्पणी जारी की थी।