नई दिल्ली। राफेल मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उस समय अजीब सी स्थिति उत्पन्न हो गई जब पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ में शामिल मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पूछा कि कोर्ट की अवमानना के मामले में राहुल गांधी का जवाब कहां है? इस पर कोर्ट में मौजूद दोनों पक्ष के वकीलों और कोर्ट मास्टर ने मुख्य न्यायाधीश को बताया कि आज पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई होनी है, राहुल पर अवमानना के मामले में तो कोर्ट ने 10 मई की तारीख़ तय की थी।
मुख्य न्यायाधीश गोगई ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह कैसे हो सकता है? हमारे आदेश में था कि पुनर्विचार याचिका और अवमानना मामलों की सुनवाई साथ साथ होगी. खुली अदालत में हमने 6 तारीख तय की थी। पीठ कहा, ‘‘हम थोड़ा उलझन में हैं कि दो मामले दो अलग-अलग तारीखों पर सूचीबद्ध हैं जबकि इनकी एकसाथ सुनवाई करने का आदेश था।’’
गौरतलब है पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ओपन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका और अवमानना मामले की सुनवाई के लिए 6 मई की तारीख बताई थी लेकिन शाम को जब कोर्ट का आदेश आया तो उसमें रिव्यू के लिए 6 मई और राहुल गांधी के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले में 10 मई की तारीख़ लिखी थी।
पीठ ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शीर्ष अदालत के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं और न्यायालय के नाम से की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका पर एक साथ ही 10 मई को सुनवाई की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसफ की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 14 दिसंबर 2014 के निर्णय पर पुनर्विचार याचिकाएं 10 मई को सूचीबद्ध होंगी।
इस मामले में संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से कहा कि वह पुनर्विचार याचिका और चुनिन्दा दस्तावेज पेश करने के लिए दायर आवेदन पर बहस करेंगे। उन्होंने कहा कि न्यायालय को सह-याचिकाकर्ता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी को राफेल मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय को कथित रूप से गुमराह करने के लिए अज्ञात सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ गलत बयानी के आरोप में मुकदमा चलाने के लिए दायर आवेदन पर बहस करने की अनुमति देनी चाहिए।