बरेली। मानव सेवा क्लब ने पिछले वर्ष जनसंख्या नियंत्रण को अपने एजेंडे में रखते हुए कई विद्यालयों में गोष्ठियां कराई थीं और रैलियों के माध्यम से जनसंख्या नियंत्रण का बिल लाने की मांग उठाई थी। इस बार कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से सोमवार को जनसंख्या नियंत्रण पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि बढ़ती जनसंख्या की वजह से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं। अतएव विधेयक लाकर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर बरेली कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. एनएल शर्मा ने कहा कि जनसंख्या समस्या को अन्य कई समस्याओं की जननी कहा जाता है। गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, अज्ञान, अर्थिक एवं सामाजिक पिछड़ापन, अंधविश्वास और बढ़ते हुए अपराधों के मूल में बढ़ती हुई जनसंख्या ही नजर आती है। अतः आवश्यक है कि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जाए। भारत जनसंख्या विस्फोट से पीड़ित है, जनसंख्या के अतिभार से ग्रस्त है। हम जानते हैं कि संसाधन अंकगणित की रफ्तार अर्थात 1, 2, 3, 4 और जनसंख्या ज्यामितीय रफ्तार अर्थात 1, 2, 4, 8, 16 की गति से बढ़ती है और लोगों को जरूरत की चीजें नहीं मिल पाती हैं। अर्थशास्त्री माल्थस ने कहा था कि लोग स्वयं जनसंख्या रोके। उन्होंने कहा कि यदि लोग स्वयं जागरूक होकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित नहीं करते हैं तो सरकार को कानून बना कर ऐसा करना चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण की बाध्यता को न मानने वाले लोगों को सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाना चाहिए।
“बढ़ती आबादी को विकास का आधार बनाएं”
साहित्य भूषण और शिक्षाविद डॉ. सुरेश बाबू मिश्रा ने कहा कि बढ़ती आबादी को विकास का आधार बनाएं। किसी भी देश के विकास में अन्य संसाधनों के साथ-साथ मानव संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्तमान समय में भारत एक तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था वाला देश है। वह विश्व की एक महाशक्ति बनने की तैयारी में है। मौजूदा समय में हमारे देश की अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे देश की आबादी इस समय एक अरब 33 करोड़ के आसपास है। इस आबादी का सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि देश की 60 प्रतिशत आबादी युवाओं की है। भारत विश्व का सबसे अधिक युवाओं वाला देश है। मौजूदा समय में देश में युवाओं की कुल आबादी लगभग 65 करोड़ है जो आस्ट्रेलिया महाद्वीप की कुल आबादी से दोगुना है। युवाओं की इतनी बड़ी संख्या को यदि तकनीकी ज्ञान और व्यावसायिक कौशल का प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ दिया जाए तो ये युवा अपनी प्रतिभा, जोश और मेहनत से देश की तस्वीर बदल सकते हैं।
“समस्या को अवसर में बदलने की आवश्यकता”
चार्टर्ड एकाउंटेंट राजेन विद्यार्थी ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या की वजह से जहां कई तरह की समस्याएं बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ़ जनसांख्यिकी लाभांश भी है क्योंकि हमारा देश में दुनिया में सबसे ज्यादा युवा आबादी है। जहां एक तरफ़ देश में बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए क़ानून बनाने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी तरफ़ यदि हम श्रम कुशलता पर काम कर सकें तो यह बड़ी आबादी ही हमारे लिए वरदान बन सकती है। आज आवश्यकता इस समस्या को अवसर में बदलने की है।
गोष्ठी का संचालन करते हुए सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ने कहा कि देश में तीव्र गति से बढ़ती आबादी पर अंकुश लगाने के लिए कड़ा कानून जल्द से जल्द बनाया जाए।