नई दिल्ली। हिंद महासागर के साथ ही उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों के बीच तीनों सेनाओं के आधुनिकीकरण की तैयारी भी तेज हो गई है। थल सेना की युद्धक क्षमता को और बढ़ाने के लिए उसमें 464 अतिरिक्त टी-90 (भीष्म) टैंक शामिल करने की तैयारी है। इसके लिए भारत ने रूस के साथ 13,448 करोड़ रुपये का रक्षा सौदा किया है। इसके तहत ये सभी टैंक 2022-2026 तक सेना को सौंप दिए जाएंगे। ये टैंक भारत और रूस के बीच 1654 टैंकों के समझौते की आखिरी खेप होंगे। टी-90 को भारतीय सेना की बख्तरबंद रेजीमेंट की जान माना जाता है। इन टैंकों को पाकिस्तान के साथ लगती सीमा पर तैनात किया जाएगा

चेन्नई की फैक्ट्री में होगा उत्पादन

सौदे के बारे में जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इसे लेकर एक महीने पहले ही रूस से अधिग्रहण लाइसेंस को मंजूरी मिल गई है। इन नए टी-90 टैंक को भारत में ही बनाया जाएगा। इन टैंकों का उत्पादन के आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के तहत चेन्नई की आवाडी हेवी व्हीकल फैक्ट्री (एचवीएफ) में किया जाएगा। भारत ने नए टी-90 टैंकों के उत्पादन के लिए तैयारी कर ली है। इसके लिए APFSDS (आर्मपियरिंग फिन-स्टेबलाइज्ड डिसाइडिंग सॉबट) गोला-बारूद खरीद लिया गया है। जानकारी बताते हैं कि सेना का  फ्यूचर रेडी लड़ाकू वाहन (FRCV) प्रोजेक्ट अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। दरअसल, इसके पहले पुराने टी-72 टैंकों को बदलने के लिए शुरुआत में 1,770 एफआरसीवी बनाएं जाएंगे।

भारतीय सेना की बख्तरबंद रेजिमेंट के पास पहले ही 1,070 टी-90, 124 अर्जुन और 2,400 पुराने टी-72 टैंक है। सन् 2001 में 8,525 करोड़ रुपये में 657 टी-90 टैंक खरीदे गए थे। भारत जो 464 टी-90 टैंक खरीद रहा है उनमें  रात के वक्त भी लड़ने की क्षमता होगी।

पाकिस्तान भी खरीदने की जुगत में

दूसरी तरफ पाकिस्तान अपनी पूरी  मैकेनाइज्ड फोर्स को अपग्रेड करने की योजना बना रहा है। दरअसल, पाकिस्तान अब रूस के नए टी-90 टैंक को अधिगृहीत  करके इसे चीन के साथ स्वदेशी तरीके से बनाना चाहता है। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान रूस से 360 टी-90 टैंक को लेने के लिए जुगत में लगा है, हालांकि बात आगे नहीं बढ़ पा रही है।  

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