नई दिल्ली। मालदीव ने अपने देश में विदेशी नागरिकों को जमीन खरीदने का अधिकार देने के लिए संविधान में संशोधन किया है। इस संविधान संशोधन पर मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मुहर भी लगा दी है।
इससे पहले मंगलवार को मालदीव की संसद ने इस संशोधन को मंजूरी दी। पड़ोसी देश के इस कदम ने भारत को चिंता में डाल दिया है।
मलदीव का नया कानून-भारत की चिंता
नए कानून के मुताबिक, मलदीव के 1,200 द्वीपों में से एक द्वीप में अब विदेशी भी कम से कम एक अरब डॉलर के निवेश पर संपत्ति खरीद सकते हैं। हालांकि खरीददार को इस बात का भरोसा देना होगा कि कम से कम 70 फीसदी जमीन को वह विकसित करेगा। मालदीव के विपक्षी दलों को डर है कि नए नियम के चलते चीन उनके देश में सैन्य अड्डा बना सकता है। भारत की भी यहीं चिंता है। जानकारों के मुताबिक, ऐसा हुआ तो यह क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता दोनों के लिए खतरा होगा।
मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का भरोसा-
हालांकि यामीन ने भरोसा देते हुए कहा है कि इससे भारत के सामरिक हित प्रभावित नहीं होंगे। चीन की ओर से मालदीव में सैन्य अड्डा बनाने की भारत की आपत्तियों की जिक्र करते हुए राष्ट्रपति यामीन ने कहा कि उनकी सरकार ने भारत सरकार और अन्य पड़ोसी देशों को भरोसा दिया है कि वह हिंद महासागर को असैन्य क्षेत्र बनाए रखेगी। विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि सरकार भारतीय सुरक्षा चिंता से जुड़े सभी पहलुओं पर करीब से नजर बनाए हुए है।
चीन की चाल-
नए नियम के तहत खरीदे गए द्वीप की 70 फीसदी जमीन को खरीददार को विकसित करना होगा। विशेषज्ञों की मानें तो चीन के पास सागरीय द्वीपों को विकसित करने के तकनीक है। वह दक्षिण चीन सागर की तर्ज पर यहां भी ऐसा कर सकता है। जानकारों के मुताबिक, श्रीलंका में असर कम होने के बाद मालदीव चीन के लिए सामरिक रूप से अहम मान रहा है। इससे वह हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ा सकता है।
एजेन्सी