नई दिल्ली/ आगरा। ताजमहल कभी शिव मंदिर था, आगरा के वकीलों का फिलहाल यही मानना है। आगरा के विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के मूल रूप से शिवमंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर कोर्ट ने संस्कृति मंत्रालय से जवाब मांगा है। कुछ वकीलों ने 21 वीं शताब्दी के मुगल स्मारक ताजमल को मूल रूप से शिवमंदिर होने का दावा किया है। एक अंग्रजी अखबार के मुताबिक, कोर्ट ने संस्कृति मंत्रालय से 10 अगस्त तक जवाब दाखिल करने को कहा है।
दरअसल, आगरा के छह वकीलों ने ताजमल को मूल रूप से शिवमंदिर बताया है। वकीलों ने अपनी याचिका में दावा किया है कि ताजमहल की जगह पर पहले शिवमंदिर था।
वकीलों ने अपनी याचिका में ताजमहल के स्वामित्व को हिंदुओं को हस्तांतरित करने को कहा है। यह याचिका पिछले शनिवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश को हस्तांतरित कर दी गई है। याचिकाकर्ताओं में से एक वकील राजेश ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा कि कोर्ट ने इस संबंध में बचाव पक्ष संस्कृति मंत्रालय से 10 अगस्त तक जवाब मांगा है।
गौरतलब है कि इससे पहले15 जुलाई को आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने याचिकाकर्ताओं के ताजमहल के शिव मंदिर होने के दावे को खारिज कर दिया था। यह याचिका साल 2015 में डाली गई थी। याचिका में हिंदुओं को ताजमहल के अंदर प्राथर्ना का अधिकार दिए जाने की मांग की गई थी।