नई दिल्ली, 10 फरवरी। सरकार ने 76 जीवनरक्षक दवाओं से सीमा शुल्क छूट को वापस लेने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि भारतीय विनिर्माता पहले से इन से ज्यादातर दवाएं सस्ते दामों पर बेच रहे हैं। सरकार ने जिन 76 दवाओं से शुल्क छूट वापस ली है उनमें कैंसर, एड्स और हीमोफिलिया के इलाज में काम आने दवाएं शामिल हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि सीमा शुल्क छूट समाप्त होने के बावजूद इन दवाओं की कीमतों में मामूली वृद्धि होगी। उसने कहा, ‘इससे स्वदेश में बनी दवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। भारतीय दवा कंपनियां घरेलू बाजार के लिए इन दवाओं का विनिर्माण करने में सक्षम हैं। हम न केवल घरेलू मांग को पूरा कर रहे हैं, बल्कि इनका निर्यात 200 से अधिक देशों और अर्थव्यवस्थाओं को कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर दवाएं कम कीमत पर उपलब्ध हैं।’ अधिकारी ने कहा कि इन आयातित दवाओं की कीमतों में मामूली इजाफा होगा। 95 प्रतिशत दवाओं के मामले में सीमा शुल्क सिर्फ ढाई प्रतिशत है। यदि कीमतों में वृद्धि होती भी है, तो यह बेहद मामूली होगी।
ये दवाएं एचआईवी एड्स और हीमोफिलिया के इलाज में काम आती हैं। अधिकारी ने कहा कि इनमें से ज्यादातर मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में हो रहा है। अधिकारी ने कहा कि एचआईवी एड्स तथा हीमोफिलिया के मरीजों के इलाज का खर्च सार्वजनिक खर्च से पूरा किया जाता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत उन्होंने नि:शुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराई जाती है।