breast implantationनई दिल्ली, 6 अप्रैल। स्तनों की शेप और साइज को आकर्षक बनाने के लिए ब्रेस्ट इंप्लांट कराने के बाद भी महिलाएं बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग करा सकती हैं। इस सर्जरी में ब्रेस्ट के अंदर आर्टिफिशियल मेटेरिअल की एक परत लगाई जाती है। कई बार लोगों को यह संदेह रहता है कि क्या ब्रेस्ट इंप्लांट के बाद शिशुओं को स्तनपान यानी ब्रेस्टफीडिंग कराया जा सकता है।

जानकारों के मुताबिक सभी प्रकार के ब्रेस्ट इम्प्लांट से स्तनपान यानी ब्रेस्टफीडिंग में समस्या नहीं होती। आमतौर पर तीन तरह के ब्रेस्ट इम्प्लांट किये जाते हैं। इम्प्लांट की एक्जीलरी तकनीक में बगल यानी आर्मपिट के नीचे चीरा लगाकर इम्प्लांट किया जाता है। आर्मपिट के आसपास की मांसपेशियां ब्रेस्ट और मिल्क से नहीं मिली होती, इसलिए ऐसे इम्प्लांट से ब्रेस्टफीडिंग पर कोई असर नहीं पड़ता।

इंफ्रा-ममरी तकनीक में ब्रेस्ट के नीचे चीरा लगाया जाता है। एक्जीलरी तकनीक की ही तरह यह भी सुरक्षित है, और ब्रेस्टफीडिंग के लिए बाधक नहीं होता । साथ ही स्तन से दूध भी आसानी से निकलता है।

ajmera institute of media studies, bareilly भारत में इम्प्लांट के लिए आमतौर पर यही दो तरीके अपनाए जाते हैं। इससे ब्रेस्टफीडिंग की समस्या नहीं होती, बल्कि इसके नतीजे भी अच्छे निकलते हैं। इंप्लांट के बाद स्तन भी नेचुरल दिखते हैं और निशान भी नहीं पड़ते।

पेरिआरिओलर तरीके से ब्रेस्ट इंप्लांट अच्छा नहीं माना जाता है। इस तरीके का चुनाव नहीं करना चाहिए। इसमें निप्पल के पास चीरा लगाया जाता है। जिससे उन टिशु को नुकसान पहुंचता है जो ब्रेस्टफीडिंग के लिए जरूरी हैं। साथ ही  इससे दूध निकलने का रास्ता बाधित हो जाता है।

By vandna

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