नई दिल्‍ली। वाराणसी से सपा के सिंबल पर नामांकन पत्र भरने वाले बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दी। तेजबहादुर ने अपनी उम्मीदवारी निरस्त करने के चुनाव आयोग के फैसले को इस याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी। अदालत ने कहा है कि उसे नहीं लगता है कि इस याचिका में कार्रवाई करने जैसा कुछ है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से लगातार दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को चुनाव आयोग से तेज बहादुर यादव के नामांकन रद होने के मामले में उसकी शिकायतों पर गौर करने और गुरुवार को कोर्ट में उसे पेश करने को कहा था। तेज बहादुर का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट के एक पुराने आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि आर्दश आचार संहिता लागू होने के दौरान याचिका दायर करने पर कोई रोक नहीं है। 

तेज बहादुर ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें जानबूझकर चुनाव में उतरने से रोका जा रहा है। दूसरी ओर चुनाव अधिकारी के अनुसार, तेज बहादुर का नामांकन पत्र इसलिए रद किया गया क्योंकि वह जनप्रतिनिधि कानून के तहत अनिवार्य प्रमाण पत्र पेश करने में विफल रहे जिसमें यह कहा गया है कि उन्हें भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त नहीं किया गया है। वहीं इस पर तेज बहादुर का कहना है कि चुनाव आयोग की तरफ से उन्हें प्रमाण पत्र पेश करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। उन्होंने याचिका में कहा है कि रिटर्निंग अधिकारी ने 30 अप्रैल की शाम 6 बजे नोटिस जारी कर एक मई की सुबह 11 बजे तक यह प्रमाण पत्र पेश करने को कहा। तेज बहादुर ने इस फैसले को मनमाना और दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा है कि ऐसा सत्तापक्ष के दल को वॉकओवर दिलाने के लिए किया गया।

तेज बहादुर ने अपने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि निर्वाचन अधिकारी के निर्णय को खारिज किया जाए और उन्हें वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए। उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनकी जीत निश्चित है, इसीलिए उनकी उम्मीदवारी को खारिज किया गया।

आपको याद होगा कि वर्ष 2017 में बीएसएफ में ड्यूटी पर रहते हुए तेज बहादुर यादव द्वारा एक वीडियो जारी किया गया था जिसमें वह जवानों को परोसे जाने वाले भोजन को लेकर शिकायत करते नजर आ रहे थे। इस प्रकरण के बाद ही उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।  

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