प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन पूरे देश में वैलेंटाइन डे 14 फरवरी को मनाया जाता है, लोग अपने चाहने वालों को संत वेलेंटाइन के नाम पर फूल, कैंडी और उपहार देते हैं।प्यार एक अलग ही एहसास है जिसे सिर्फ वहीं महसूस कर सकता है जो किसी के प्यार में हो। अगर कोई इंसान किसी से प्यार करता है तो उसके लिए मन में एक अलग ही लगाव रखता है। प्यार के लिए कोई सीमा या बंधन नहीं होता है और किसी के प्रति सच्चे प्यार को कभी खत्म नहीं किया जा सकता। वैलेंटाइन डे का दिन ऐसे ही प्यार करने वालों के नाम किया गया है।
यह संत वैलेंटाइन की याद में मनाया जाता है। किसी के प्रति अपने प्यार और भावनाओं को जताने के लिए यह दिन सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन को अपने प्रेमी के प्रति अपना प्रेम दिखाने के लिए बेस्ट दिन माना जाता है, आप अपने साथी के सामने इस दिन दिल खोलकर अपने प्रेम का इज़हार करते हैं अपने जज्बातों को शब्दों में बयां करने के लिए इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। पर क्या आप जानते हैं कि इस दिन के पीछे का इतिहास क्या है। नहीं, तो आइए हम आपको बताते हैं।
कैथोलिक विश्वकोश के अनुसार, शुरूआत में 3 ईसाई संत थे। पहले रोम में पुजारी थे, दूसरे टर्नी में बिशप थे और तीसरे थे सेंट वेलेंटाइन, जिनके बारे में कोई इतिहास अभी तक सामने नहीं आया है, सिवाय इसके कि वे अफ्रीका में मिले थे। हैरानी की बात यह है कि तीनों वैलेंटाइन्स 14 फरवरी के दिन शहीद हुए थे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।
रोम में तीसरी शताब्दी में सम्राट क्लॉडियस का शासन था, जिनके अनुसार एकल पुरुष विवाहित पुरुषों की तुलना में ज्यादा अच्छे सैनिक बन सकते हैं। वेलेंटाइंस, जो एक पादरी थे ने इस क्रूर आदेश का विरोध किया। इन्होंने अनके सैनिकों और अधिकारियों के विवाह करवाए। जब सम्राट क्लॉडियस को इस बात का पता चला तो उन्होंने वेलेंटाइंस को फांसदी पर चढ़वा दिया। इन्हीं की याद में वेलेंटाइंस डे मनाया जाने लगा.कहते हैं सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मौत के समय जेलर की अंधी बेटी जैकोबस को अपनी आंखे दान कीं. सैंट ने जेकोबस को एक पत्र भी लिखा, जिसके आखिर में उन्होंने लिखा था ‘तुम्हारा वेलेंटाइन’. यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में इस संत के नाम से मनाया जाने लगा और वेलेंटाइन-डे के बहाने पूरे विश्व में निःस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाता है।