इस्लामाबाद। मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलमानों या यूं कहें कि इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान की स्थापना की और जिया उल हक ने उसमें इस्लामिक कट्टरता का छौंक लगाया। कट्टरतावाद को बढ़ावा देने के नतीजे सामने आने लगे हैं। सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पाकिस्तानी हुक्मरानों ने जिन मुल्ला-मौलवियों को सिर-आंखों पर बैठाए रखा वे ही अब उन पर गुर्राने लगे हैं। ताजा मामले में रमजान की शुरुआत का निर्धारण विज्ञान आधारित चंद्र कैलेंडर के जरिये करने का सुझाव देकर पाकिस्तान की इमरान सरकार रूढि़वादी मुल्लाओं के निशाने पर आ गई है। दरअसल, रमजान के महीने में रोजे की शुरुआत किस तारीख से हो इसको लेकर विवाद रहता है, इसी को देखते हुए इमरान सरकार के एक मंत्री ने विज्ञान का सहारा लेने की बात कही और कट्टरपंथी भड़क गए।
इस्लामी कैलेंडर के नौवें और सबसे पवित्र महीने रमजान, ईद और मोहर्रम मनाने का निर्णय अमावस देखकर ही तय किया जाता है। पाकिस्तान में मौलवियों के नेतृत्व वाली “चांद देखने वाली समिति” इसकी घोषणा करती है। दशकों से इसकी सत्यता को लेकर विवाद होता रहा है। पढ़े-लिखे और तरक्कीपसंद लोग इसकी सटीकता पर सवाल उठाते रहे हैं।
फवाद चौधरी के ट्वीट से भड़के कट्टरपंथी
“नया पाकिस्तान” बनाने का नारा देने वाले इमरान खान की सरकार के विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री फवाद चौधरी ने बीती पांच मई को एक वीडियो ट्वीट किया। इसमें उन्होंने कहा, “रमजान, ईद और मोहर्रम के अवसर पर हर साल चांद देखने को लेकर विवाद होता है। चांद देखने और गणना करने के लिए समिति पुरानी तकनीक दूरबीन का सहारा लेती है। जब आधुनिक तकनीक उपलब्ध है और इसका सहारा लेकर हम अंतिम और वास्तविक तारीख की गणना कर सकते हैं तो फिर सवाल यह है कि हम आधुनिक तकनीक का सहारा क्यों नहीं ले रहे हैं?” चौधरी ने कहा कि उनका मंत्रालय वैज्ञानिकों, मौसम वैज्ञानिकों और पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों को लेकर एक समिति का गठन कर सकता है जो अगले पांच साल की “100 फीसदी सही” तारीख की गणना कर देगी।
देश को मौलवियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता
तरक्कीपसंद फवाद चौधरी इतने पर ही नहीं रुके, एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, “देश को कैसे चलाया जाए, इसे मौलवियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। आगे का सफर युवाओं को साथ लेकर करना है, मुल्लाओं को साथ लेकर नहीं। केवल प्रौद्योगिकी देश को आगे ले जा सकती है।”
फवाद चौधरी के इन दो ट्वीट्स से मुल्ला-मौलवी भड़के हुए हैं। सत्ता प्रतिष्ठान पर अपनी पकड़े कम होने की आशंका को लेकर उनका पारा चढ़ा हुआ है। तमाम मुल्ला-मौलवी फवाद चौधरी के खिलाफ खड़े हो गए हैं। “चांद देखने वाली समिति” के प्रमुख मुफ्ती मुनीब-उर-रहमान ने फवाद चौधरी को अपने दायरे में रहने की “हिदायत” दी है। कराची में एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री इमरान खान से अपील की है कि संबंधित मंत्री ही धार्मिक मामलों के बारे में बात करें।” मुफ्ती मुनीब-उर-रहमान के रवैये से कट्टरपंथियों का हौसला और बढ़ गया है। तरक्कीपसंद जमात इसको लेकर आशंकित है और सरकार से कट्टपंथियों को उनकी हद में रहने के लिए कहने की मांग कर रही है।