नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान रमजान में मतदान सुबह 5 बजे से करवाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समय तय करना चुनाव आयोग का अधिकार है। सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक का समय मतदान के लिए पर्याप्त है। सुबह 7 बजे इतनी गर्मी नहीं होती कि वोट न डाला जा सके। गौरतलब है कि चुनाव आयोग इस मांग को अव्यावहारिक बताते हुए पहले ही खारिज कर चुका है। रमजान का महीना इस वर्ष 7 मई से शुरू हुआ है। इस पूरे महीने मुस्लिम रोजा (एक निर्धारित समय में उपवास) रखते हैं। सात चरण के लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई तक होने हैं। वोटों की गिनती 23 मई को होगी।
एक पक्ष को थी आपत्ति, दूसरे पक्ष ने कहा था- कुछ भी गलत नहीं
दरअसल, इससे पहले वकील निजाम पाशा ने रमजान और गर्मी के कारण तपिश एवं लू को देखते हुए आखिरी चरण में मतदान के समय में बदलाव की मांग की थी। तब शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से मामले पर विचार करने को कहा था लेकिन चुनाव आयोग ने इस मांग को ठुकरा दिया था। आपको याद होगा कि जब लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ था तो चुनाव के बीच में रमजान पड़ने पर आपत्ति उठी थी। लखनऊ के मौलानाओं ने ऐतराज जताते हुए चुनाव आयोग से तिथियों में फेरबदल करने की मांग की थी। तृणमूल कांग्रेस के फरहाद हकीम और आम आदमी पार्टी के अमानातुल्लाह खान समेत कुछ नेताओं ने भी रमजान के पवित्र महीने में चुनाव कराए जाने पर आपत्ति उठाई थी। सके चलते इस मुद्दे ने विवाद का रूप ले लिया था। वहीं एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी समेत कुछ अन्य मुस्लिम नेताओं एवं हस्तियों ने कहा कि रमजान के दौरान चुनाव होने में कुछ भी गलत नहीं है, अगर मुस्लिम उपवास के दौरान काम कर सकते हैं तो वे उपवास के दौरान वोट डाल सकते हैं और चुनाव प्रचार भी कर सकते हैं।
आयोग ने कहा था- पूरे महीने के लिए चुनाव स्थगित करना संभव नहीं
लोकसभा चुनाव कार्यक्रम को लेकर उत्पन्न विवाद पर निर्वाचन आयोग ने सफाई देते हुए कहा था कि रमजान के पूरे महीने के लिए चुनाव स्थगित करना संभव नहीं है। साथ ही कहा था कि मुख्य त्योहार दिवसों और शुक्रवारों को चुनाव से मुक्त रखा गया है। आयोग के प्रवक्ता ने कहा था कि आयोग ने सीबीएसई समेत विभिन्न राज्य बोर्डो की परीक्षा समय सारणी को देखने के बाद चुनाव तिथियों को अंतिम रूप दिया। इसके अलावा, अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे मार्च, अप्रैल और मई में होने वाली विभिन्न छुट्टियों और त्यौहारों, मानसून पूर्व बारिश, फसलों की कटाई पर ध्यान दिया गया।