नई दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिए गए विवादित बयान से नाराज भाजपा ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। वरिष्ठ भाजपा नेता व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि मायावती का शासन और राजनीतिक नैतिकता हमेशा ही निम्नतम स्तर पर रही है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनके इस विवादित बयान से उजागर हो गया है कि वह सार्वजनिक जीवन में पूरी तरह अनफट हो चुकी हैं।
मायावती ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था, “मुझे मालूम चला है कि भाजपा में विवाहित महिलाएं अपने पतियों को मोदी के नजदीक जाते देखकर घबराती रहती हैं कि कहीं मोदी अपनी औरत की तरह उन्हें भी उनके पतियों से अलग ना करवा दे। भाजपा के लोग महिलाओं का सम्मान नहीं करते। यहां तक कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए पीएम मोदी ने अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया। पीएम मोदी अगर राजनीतिक लाभ के लिए अपनी पत्नी को छोड़ सकते हैं तो फिर देश की मां व बहनों को वह कैसे न्याय दे सकते हैं। वह इनको कैसे सम्मान देंगे।“
अरुण जेटली ने मायावती के बयान की निंदा करते हुए सवाल किया कि इस विवादित टिप्पणी पर तथाकथित वाम उदारवादियों ने चुप्पी क्यों साध ली है।
जेटली ने पश्चिम बंगाल में प्रशासन की ओर से जाधवपुर में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को रैली की इजाजत नहीं देने पर तृणमूल कांग्रेस को भी घेरा। उन्होंने कहा कि राज्य में विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो रही हैं, राजनीतिक दलों के उम्मीदवार मारे जा रहे हैं, बूथ कैप्चरिंग हो रही है। यहां तक कि विपक्ष के नेताओं को रैलियां करने से रोका जा रहा है। पश्चिम बंगाल सरकार का यह कदम लोकतंत्र की हत्या है।
भाजपा के प्रवक्ता व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भी अमित शाह की रैली की इजाजत नहीं दिए जाने को लेकर तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “बंगाल में ममता बनर्जी की तानाशाही चल रही है। आज अमित शाह जी की जाधवपुर में रैली थी। हमने उसकी अनुमति के लिए आवेदन 4-5 दिन पहले किया था। पहले वे कह रहे थे कि अनुमति मिल जाएगी लेकिन कल (रविवार) रात 8.30 बजे बताया की अब अनुमति नहीं देंगे।”
जावडेकर ने कहा, “प्रशासन ने पहले हेलीकाप्टर की इजाजात दी थी, कल रात वह भी मना कर दिया। चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए। अगर नेता रैलियां नहीं करेंगे तो चुनाव का क्या मतलब है? ये क्या है? तानाशाही है, लोकतंत्र में चुनाव आयोग के अधिकारों का हनन है। चुनाव आयोग को मूकदर्शक बनाए रहने की साजिश है। उनको (टीएमसी) अहसास हो गया है की ममता जा रही हैं, भाजपा आ रही है। हमारी कार्यकर्ता प्रियंका को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए 14 दिन की पुलिस हिरासत में डाल दिया। इससे भी ज्यादा खतरनाक पोस्ट डेरेक ओबेरॉय ने डाली थी पर कोई एक्शन नहीं हुआ।”