कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए एक युवक को जीप से बांधकर ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाले मेजर लितुल  गोगोई ने कहा कि अगर उस दिन उस युवक को जीप से बांधने वाले प्लान पर काम नहीं किया होता तो मौके पर कई लोगों की जानें जातीं।

राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर लितुल गोगोई को आर्मी चीफ की ओर से इस घटना के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है। दूसरी ओर कश्मीर में पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर रखी है। इस पूरे विवाद के बाद  पहली बार मीडिया के सामने आए मेजर लितुल गोगोई ने उस घटना के बारे में विस्तार से बताया ।उन्होंने उस दिन को याद करते हुए बताया कि सुबह साढ़े 10 बजे कॉल आई कि गुंडीपुरा में 1200 लोगों ने पोलिंग स्टेशन को घेर रखा है और उसे पेट्रोल बम से जलाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि क्विक रिस्पोंस टीम के साथ जब वे वहां पहुंचे तो भीड़ ने उनके काफिले पर पथराव शुरू कर दिया। उन्होंने देखा कि एक युवक पत्थरबाजों को उकसा रहा है और उसी के नेतृत्व में ये पत्थरबाजी हो रही है। उन्होंने उसका पीछा किया तो युवक भागने लगा। लेकिन उनकी टीम किसी तरह उस युवक को पकड़ने में कामयाब रही।

मेजर गोगोई ने कहा कि जब उन्होंने उस युवक को पकड़ा तो पत्थरबाजी बंद हो गई। यहीं से उन्हें ये आईडिया आया कि भीड़ से सुरक्षित बाहर निकलना है और कोई बल-प्रयोग भीड़ पर नहीं करना है तो उस युवक को ही ढाल बनाना होगा। मेजर गोगोई ने कहा कि अगर वो ऐसा नहीं करते और फायरिंग का रास्ता अपनाते तो कई जानें जातीं।

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