नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने आज 26 मई को अरुणाचल और असम को जोड़ने वाले असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर देश के सबसे बड़े पुल ढोला-सादिया का उद्घाटन किया। सरकार ने देश को यह तोहफा अपने तीन साल पूरे होने के मौके पर दिया है। बता दें कि आज ही मोदी सरकार के तीन साल पूरे हुए हैं।
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि ये पुल पैसै और समय तो बचाएगा ही साथ ही नई अर्थ क्रांति का भी आगाज होगा। देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी असम के तिनसुकिया में जनता को संबोधित कर रहे थे।
पीएम ने कहा कि अनेक वर्षों से जिसकी प्रतीक्षा कर रहे थे उस पुल की शुरुआत हो गई है। मोदी ने कहा कि आज उत्सव मनाया जा रहा है। मोदी ने कहा कि अरुणाचल के अदरक किसानों के लिए ये पुल नया रास्ता खोलेगा। पुल के माध्यम से अदरक का ग्लोबल मार्केट तैयार हो सकता है। इस पुल से रोजाना करीब 10 लाख रुपयों की बचत होगी। ये पुल दो राज्यों के बीच विकास की कड़ी बनेगा।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच दशक से आप जिसका इंतजार कर रहे थे वो ब्रिज आपको मिल गया है। पीएम मोदी बोले की इससे समय और खर्च में बचत होगी। डीजल की बचत होने से रोजाना सामान्य नागरिकों का 10 लाख रुपये बच सकेंगे। इस बीच पीएम मोदी ने इस लंबे पुल को नाम भी दे दिया।
PM Modi at the newly inaugurated Dhola – Sadia Bridge across River Brahamputra in Purana Sadiya, Assam pic.twitter.com/rbUubURfXu
— ANI (@ANI) May 26, 2017
उन्होंने कहा कि महापुरुष भूपेन हजारिका के नाम से ढोला-सादिया पुल पहचाना जाएगा। पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर देश में अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार होती तो ये तोहफा देश को पिछले 10 साल पहले ही मिल गया होता।
पीएम मोदी ने ऐलान किया कि धौला-सादिया पुल का नाम भूपेन हजारिका के नाम पर होगा। भूपेन हजारिका बह्मपुत्र के लाल थे इसीलिए उनके नाम पर ही इस पुल का नाम होगा।
खास बात ये है हकि ये पुल चीन की सीमा से करीब 100 किमी दूर है। पुल के बनने से भारतीय सेना की चीन की सीमा तक करीब 4 घंटे जल्दी पहुंच सकती है। प्रधानमंत्री बोले कि ये पुल आसाम ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है, पूर्वोत्तर को देश के हर कोने से जोड़ेंगे।
खास है ये पुल
पुल को भारत द्वारा चीन की सीमा के पास अपनी रक्षा जरूरतों को मजबूती प्रदान करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यह पुल मुंबई के बांद्रा-वर्ली सी लिंक से 3.55 किलोमीटर लंबा है और यह भारत का सबसे बड़ा पुल है।
मूल रूप से ब्रह्मपुत्र की सहायक लोहित नदी पर बने ढोला-सदिया ब्रिज की कुल लंबाई 9.15 किमी है। यह पुल शुरू होने जाने से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सड़क संपर्क स्थापित हो जाएगा। खास बात यह है कि यह ब्रिज सामरिक रूप से भी अहम होगा। यह पुल 60 टन युद्धक टैंक का भार सह सकता है।
950 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ इस पुल का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था। इसका डिजाइन इस प्रकार से तैयार किया गया है कि इस पर टैंकों की आवाजाही भी हो सकती है।
Within one year of BJP rule in Assam, the state got rid of a lot of problems: PM Modi pic.twitter.com/GSV2VGSwKu
— ANI (@ANI) May 26, 2017
इसके जरिये चीन से लगी एलएसी पर सैन्य साजोसामान आसानी से पहुंचाया जा सकेगा। ब्रिज को इस तरह बनाया गया है कि इस पर से टी-72 टैंक भी गुजर सकेंगे।
ढोला- सदिया ब्रिज बनने से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरी 6 घंटे कम हो जाएगी। यह ब्रिज गुवाहाटी से 540 किमी दूर सदिया में स्थित है। इसका दूसरा सिरा धोला में है, जहां से ईटानगर से 300 किमी दूर है। वर्तमान में दोनों राज्यों के बीच सड़क संपर्क सीमित है।
पुल बनने से होगा ये फायदा
ब्रिज बन जाने से सेना अरुणाचल प्रदेश तक जाने में सक्षम होगी, जिसकी सीमा चीन से लगती है। ब्रिज को इस तरह बनाया गया है कि इस पर से टैंक भी गुजर सकेंगे। आमतौर पर अरुणाचल प्रदेश में सेना तिनसुखिया से प्रवेश करती है, जो असम में गुवाहाटी से 186 किमी दूर है।
अब तक यहां कोई ब्रिज नहीं था, जिससे टैंक भी गुजर सकें। ऐसे में सेना को तेजपुर से सीमा पर पहुंचने में दो दिन लगते थे। इस पुल के बनने के बाद अब यह राह आसान होगी। चीन से लगती 3488 किमी लंबी सीमा है, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में एक भी एयरपोर्ट नहीं है। ईटानगर में महज एक हैलीपैड है।