राज्यसभा की सदस्यता से बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस्तीफा दे दिया है। राज्यसभा में बोलने की इजाजत न मिलने से गुस्सा मायावती इस्तीफे की धमकी देते हुए सदन से वॉकआउट कर गई थीं।
मायावती जब इस्तीफा देने राज्यसभा चेयरमैन के दफ्तर पहुंची तो उनके पीछे राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला भी पहुंच गए। उनकी अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा भी माया के पीछे दफ्तर पहुंच गए। बताया जा रहा है कि सभी सांसदों ने मायावती को इस्तीफा देने से रोका, मगर वो नहीं मानीं और अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
BSP Chief Mayawati resigns from Rajya Sabha (file pic) pic.twitter.com/40DVYK17Vw
— ANI (@ANI) July 18, 2017
दरअसल,जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, उसके बाद मायावती ने सहारनपुर में दलितों पर अत्याचार का मुद्दा उठाया। मायावती लगातार इस मसले पर यूपी की योगी सरकार को घेर रही थीं, मगर चेयरमैन ने उन्हें समय पूरा होने की दलील देते हुए बैठने का आग्रह किया। हालांकि, इसके बाद मायावती लगातार बोलने की परमिशन मांगती रही, मगर चेयरमैन ने उन्हें इजाजत नहीं दी। इस बीच मायावती भड़क उठीं और सदन से इस्तीफा देने की धमकी देकर वॉकआउट कर गईं।
सदन में मायावती ने कहा कि मुझे महज तीन मिनट का वक्त दिया जा रहा है। आखिर इतने महत्वपूर्ण मसले पर मेरी बात क्यों नहीं सुनी जा रही। लानत है ऐसी सदस्यता पर कि जिस समाज से मैं आती हूं उसी की बात सदन में नहीं रख पा रही। मुझे ऐसी सदस्यता नहीं चाहिए। मैं अभी इससे इस्तीफा देती हूं।
मायावती ने उपसभापति से कहा कि ये जीरो ऑवर नहीं है फिर कैसे उनकी बात महज तीन मिनट तक सीमित की जा सकती है। आखिर सहारनपुर में जो कुछ हो रहा है वो सब उन्हें क्यों नहीं बताने दिया जा रहा। मायावती के इस तेवर को देख सरकार की ओर से मुख्तार अब्बास नकवी खड़े हुए।
नकवी ने कहा कि माया सियासी हताशा में उपसभापति पर हमला कर रही हैं और सीधे-सीधे धमकी दे रही हैं जो बिल्कुल सही नहीं है। नकवी ने कहा कि माया किसी समाज की बात नहीं रख रहीं बल्कि सिर्फ सियासत कर रही हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद ने मायावती का समर्थन किया और उनके समर्थन में पार्टी के सभी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।