बरेली। आंखें मनुष्य के लिए ईश्वर का वरदान हैं। एक ऐसा उपहार जिसके बिना जीवन में सिर्फ अंधेरा ही शेष रह जाता है। इसके बावजूद लोग आखों की देखभाल में लापरवाही करते हैं। हमारे खानपान और जीवन शैली ने भी आंखों को प्रभावित किया है। आंखों की तमाम बीमारियां इसी कारण पैदा होती हैं। यह कहना है वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ और मोहन आई इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. राजीव मोहन का। बरेली लाइव के विशेष संवददाता विशाल गुप्ता से बातचीत के दौरान रेटिना सर्जन डा. राजीव मोहन ने आंखों की विभिन्न बीमारियों, उनके लक्षण, कारण और निवारण पर विस्तार से चर्चा की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश-
प्रश्न – आंखों के रोगियों की संख्या इन दिनों तेजी से बढ़ती जा रही है। क्या कारण है?
डॉ. राजीव – आंखें कुदरत का तोहफा है, ईश्वर का अनमोल उपहार है मानव के लिए। लेकिन इंसान इनकी केयर किसी उपहार की तरह नहीं करता। आजकल लोगों की जीवन शैली इस कदर भागमभाग की हो गयी है कि न तो खानपान का उचित ध्यान रख पा रहा है और न ही स्वास्थ्य का। आंखों की बहुत सी बीमारियां उम्र के साथ बढ़ती हैं तो कुछ अन्य बीमारियों के साइड इफेक्ट के रूप में जन्म लेती हैं। फिर पर्यावरण प्रदूषण का स्तर दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है, इससे भी आंखों पर असर पड़ता है।
प्रश्न- आपने कहा, अन्य कारणों के अलावा खानपान और बीमारियों के साइड इफेक्ट से आंखें प्रभावित होती हैं। जरा, विस्तार से बताइये?
डॉ. राजीव – हमारे खानपान में पोषक तत्वों की निरन्तर कमी होती जा रही है। इंसान पेट भरने के लिए खा रहा है। इसके कारण अधिकांश लोगों में डायबिटीज बहुत तेजी से फेल रही है। इस डायबिटीज के कारण आंखों की बहुत सी समस्याएं और बीमारियां पैदा होती हैं। डायबिटिक रेटिनोपैथी लोगों को दृष्टिविहीन बनाने वाला सबसे सामान्य कारण है। इसके अलावा डायबिटीज यानि मधुमेह के रोगियों को काला मोतिया होन का खतरा बहुत बढ़ जाता है। साथ ही डायबिटीज के चलते आंखों का पर्दा खराब हो जाता है। उन्हें आंखों के आगे मक्खी – मच्छर दीखने लगते हैं। वस्तुतः ऐसा आंखों के पर्दे पर धब्बे आने के कारण होता है।
इसके अलावा ब्लड प्रेशर यानि रक्तचाप के मरीजों की आंखें भी तेजी से प्रभावित होती हैं। ऐसे मरीजों खून की नलियां आंख के पर्दे पर ब्लॉक हो जाती हैं।
प्रश्न- उम्र के साथ कौन सी बीमारियां आती हैं और उनके लक्षण क्या हैं?
डॉ. राजीव – उम्र के साथ होने वाली बीमारियों को मेडिकल की भाषा में एआरएमडी यानि एज रिलेटिड मैकुलर डिजेनरेशन कहते हैं। पहले 60 साल से ऊपर के लोगों में ये देखने को मिलती थी, लेकिन अब ये बड़ी कॉमन हो गयी है। जब उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति को धुंधला दिखायी देने लगे, या वस्तुएं तिरछी दीखने लगें तो समझिए कि एआरएमडी के लक्षण हैं। स्मोकर्स यानि धूम्रपान के आदि लोगों में ये बड़ी तेजी से होती है।
प्रश्न- इसके अलावा अन्य कौन सी समस्याएं या बीमारियां सामान्यता लोगों को होती हैं?
डॉ. राजीव – मोतियाबिन्द, ग्लूकोमा यानि कालापानी, गर्मी और बरसात के मौसम में कंजेक्टिवाइटिस और आंखों में थोड़ा इंफेक्शन यानि खुजली आदि आम समस्याएं हैं। इन सभी का इलाज आसानी से उपलब्ध है। जरूरत है बस, लोगों के जागरूक होने की।
कई बार लोग लापरवाही में बीमारी को पालते रहते हैं। जब बहुत बढ़ जाती है तो आते हैं, तब तक काफी देर भी हो चुकी होती है। यह बात खास तौर पर मघुमेह के रोगियों पर लागू होती है।
प्रश्न- इनका क्या इलाज और सावधानियां हैं कि लोग स्वस्थ हो जायें और बचे रहें?
डॉ. राजीव – शुरूआती दौर में अगर मरीज डॉक्टर से सम्पर्क कर लेता है तो अधिकांश बीमारियां आई ड्रॉप्स और अन्य दवाओं से ठीक हो जाती हैं। बीमारी बढ़ने पर ऑपरेशन करना पड़ता है। अब इलाज बहुत महंगा नहीं है और न ही ऑपरेशन बहुत महंगे हैं। बस, लोग अपने प्रति थोड़े जागरूक हो जाये ंतो समस्याएं बढ़ेंगी नहीं।
खानपान का उचित ध्यान रखें, जैसे-खाने में विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा लें। प्रोटीन का ध्यान रखें। अधिकांश बीमारियां होंगी ही नहीं। अच्छा भोजन स्वस्थ रहने के लिए बहुत आवश्यक है। इन दिनों फसलों, फलों और सब्जियों में कीटनाशकों और रासायनिक खादों के अत्याधिक प्रयोग ने भोजन की गुणवत्ता बहुत ज्यादा प्रभावित की है। ऐसे में आर्गेनिक फूड सप्लीमेण्ट्स से फाइटोन्यूट्रिएण्ट्स प्राप्त किये जा सकते हैं।
प्रश्न- आपने कहा कि इलाज बहुत महंगा नहीं है। जबकि सुनते हैं कि अच्छा इलाज गरीबों के बस में नहीं हैं। आपके इंस्टीट्यूट में कम आय वर्ग के लोगों के लिए क्या विशेष सुविधाएं हैं?
डॉ. राजीव – देखिए विशाल जी, इलाज बहुत महंगा नहीं होता, मरीज की लापरवाही उसे महंगा बना देती है। अगर किसी समस्या की शुरूआत में ही दवा करायी जाये तो बेहद कम समय और पैसे में वह ठीक हो सकती है।
फिर भी जहां तक गरीबों के हितों की बात है, मोहन आई इंस्टीट्यूट सदैव परोपकार के लिए तैयार रहता है। कम आय वर्ग के लोगों का रियायती दरों पर इलाज किया जाता है। उनके केवल लागत ही ली जाती है। इसके अलावा जरूरत मंदों की सहायता के लिए हम कैम्प लगाते हैं। वहां मुफ्त चेकअप करते हैं और ऐसे मरीजों के मोतियाबिन्द का ऑपरेशन केवल 1500 रुपये में करते हैं। यह एकदम फ्री जैसा ही है।
प्रश्न-इसके अलावा समाज में जागरूकता के लिए मोहन आई इंस्टीट्यूट क्या कार्यक्रम चलाता है?
डॉ. राजीव – हमारे इंस्टीट्यूट (दिल्ली) में बड़ी संख्या में आंखों के विशेषज्ञ डॉक्टर्स तैयार होते हैं। हम उनके माध्यम से विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में फ्री आई चेकअप कैम्प कराते हैं। वहां बच्चों को आंखों की देखभाल के प्रति जागरूक करते हैं। ऐसा इसलिए कि बच्चे ही भविष्य हैं। उन्होंने स्वस्थ्य रहना सीख लिया तो भविष्य का भारत स्वतः ही स्वस्थ हो जाएगा।
retina surgeon Dr. Rajiv Mohan told Symptoms, causes and prevention of diseases,