नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से बड़े लोन डिफॉल्टरों के नाम का खुलासा करने को कहा है। सीआईसी ने लखनऊ के नूतन ठाकुर की एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए आरबीआई को यह निर्देश दिया है। नूतन ठाकुर की आरटीआई उन मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित थी जिनके अनुसार आरबीआर्ई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने वर्ष 2017 में एक लेक्चर में कहा था कि,कुछ लोन डिफॉल्टर्स के खातों को बैंक के पास रिजोल्यूशन के लिए भेज दिया गया है।
विरल आचार्य ने लेक्टर में कहा था कि आरबीआई ने बैंकों को कुल 25 प्रतिशत एनपीए वाले 12 बड़े खातों के खिलाफ दिवालिया आवेदन दायर करने का निर्देश दिया था। “रिज़र्व बैंक को अब सलाह दी जाती है कि वह दिसंबर 2017 तक कुछ अन्य खातों को भी रिजॉल्व करे। अगर बैंक समय सीमा के अंदर व्यवहार्य संकल्प योजना को लागू करने में विफल रहते हैं तो इन मामलों को भी आईबीसी के तहत रिजोल्यूशन के लिए संदर्भित किया जाएगा।”
अपने आरटीआई आवेदन में ठाकुर ने आरबीआई से उन लोन डिफॉल्टर्स की सूची जानना चाही थी जिनका उल्लेख विरल आचार्य ने अपने लेक्चर में किया था। आबीआई ने ठाकुर को “गोपनीय जानकारी” बताकर मांगा गया विवरण प्रदान करने से इनकार कर दिया था। इस पर उन्होंने सीआईसी के सामने अपनी मांग रखी। सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा ने भी कहा है कि मामला आरबीआई अधिनियम की धारा 45 सी और ई के तहत आता है जिसके अनुसार सभी बैंकों द्वारा जमा की गई क्रेडिट जानकारी गोपनीय मानी जाएगी। चंद्रा ने कहा कि पूरी फाइलों के खुलासे से उन कर्जदारों के नाम भी सामने आ सकते हैं जो विलफुल डिफॉल्टरों की सूची में शामिल नहीं हैं। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि, प्रतिवादी (आरबीआई) को अपीलकर्ता को आरटीआई आवेदन के बिंदु संख्या 1 और 2 से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गए हैं।